स्नो लेपर्ड,,,, अर्थात हिम तेंदुआ जिसे दुनिया के सबसे खूबसूरत और दुर्लभ जीवों में से एक माना जाता है इसने एक बार फिर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। अब पिथौरागढ़ में हिम तेंदुए की चहलकदमी कैमरे में कैद हुई है। इससे पहले 2015 में बागेश्वर और 2020 में मुनस्यारी की गोरी घाटी में हिम तेंदुए के फोटो डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने कैमरा ट्रैप में कैद किए थे। ये पहली घटना है जब किसी व्यक्ति ने इसे सामने से पहली बार देखा है।
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भारत चीन सीमा से लगते धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्र दारमा में पहली बार दुर्लभ हिम तेंदुआ दिखाई दिया है। बता दें कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने हिम तेंदुए को संकटग्रस्त जानवर की श्रेणी में रखा है। पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में करीब 10 वर्षों से काम कर रही माउंटेन राइड टीम के सदस्यों ने हिम तेंदुए की तस्वीर कैमरे में कैद की हैं। हिम तेंदुए को देखने और इस खूबसूरत पल को कमरे में कैद करने के पश्चात वे बताते हैं कि इस पल की टीम को 6 वर्षों से तलाश थी आखिरकार वो पल आ ही गया। वे कहते हैं कि चार फरवरी की शाम उनके लिए कुछ ख़ास थी। शाम पांच बजे टीम बर्फ से पटी दारमा घाटी की गड़बैनाती नाम की पहाड़ी पर उन्हें हिम तेंदुआ नजर आया और यही पल उनके लिए एक न भूलने वाला पल बन गया। यही वो समय था जब वे सामने से उसे अपने कैमरे में कैद करने मे कामयाब रहे।
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बर्फानी तेंदुआ दुनिया के उन गिने चुने जानवरों की श्रेणी में शुमार है, जिनकी प्रजाति विलुप्ति के कगार पर है। हिम तेंदुए आम तौर पर बहुत मायावी और रहस्यमयी माने जाते हैं और वन्यजीव विशेषज्ञों और फोटोग्राफरों को इनकी तस्वीरें लेने के लिए ऊंचाई पर ट्रैप कैमरे लगाने पड़ते हैं, फिर भी इनकी तस्वीरें मुश्किल से मिलती हैं। पर्यावरण प्रेमी और जीव वैज्ञानिकों के साथ-साथ वन विभाग इस चमत्कारी घटना पर एक साथ आश्चर्य और खुशी जता रहें हैं। हिम तेंदुआ बहुत दुर्लभ जीव है और यह आसानी से किसी को नजर नहीं आता।
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“दारमा में पहली बार दुर्लभ हिम तेंदुआ मिला है। ये पर्यावरण के लिए सुखद बात है। यहाँ इसके बाद संरक्षण के लिये काम और तेज किया जाएगा,प्रदेश में हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट चल रहा है”
जीवन मोहन दगाड़े, डीएफओ ,पिथौरागढ़
नोट- सभी चित्र प्रतीकात्मक हैं और सोशल मीडिया से लिए गए हैं