उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में घटित हिंसा के मामले में 50 आरोपियों को जमानत प्रदान कर दी है, जिसमें छह महिलाएं भी शामिल हैं। बाकी आरोपियों की जमानत के लिए भी कार्यवाही जारी है। इस सबके बीच, जमीयत उलेमा के प्रयासों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा के मामले में 50 आरोपियों को जमानत दे दी है, जिनमें 6 महिलाएं भी शामिल हैं। कोर्ट ने शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया था। निर्णय में कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोप पत्र पेश नहीं किया गया और आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दिया गया।
इस प्रकरण में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के मार्गदर्शन में जमीयत उलेमा हल्द्वानी की शाखा ने निरंतर प्रयास किए। इस मामले की कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील नित्या रामा कृष्णन के नेतृत्व में लड़ी गई थी।
बता दें कि 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रवियों ने हिंसा की थी। उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को आग लगाकर पुलिसकर्मियों को जलाकर मारने की कोशिश की थी। साथ ही अनेक वाहनों को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया था. इस हिंसा में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। इस हिंसा में कई वाहनों सहित थाना भी फूक दिया गया था। को आग के हवाले कर दिया गया था। घटना में कई लोग मारे गए थे और 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हो गए थे। स्थिति की गंभीरता देखते हुए इलाके में कर्फ्यू भी लगाया गया था। हिंसा के दौरान नगर निगम और अनेक सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ। पुलिस ने 107 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें अब्दुल मलिक को हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया गया था।
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