हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण को भगवान श्री हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, कहते हैं कि भगवान विष्णु अपने इस अवतार में सोलह कलाओं सम्पन्न थे। कहते हैं कि भगवान विष्णु अपने इस अवतार में सोलह कलाओं सम्पन्न थे। कृष्ण का अर्थ सृष्टि को आकर्षित करने वाला भी होता है और नाम के अनुरूप ही उन्होंने सारी सृष्टि को आकर्षित किया है। वे अलग अलग रूपों में भक्तों के निकट गए और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण की। इस सब स्वरूपों में उनका मित्र स्वरुप सबसे ज्यादा निकट माना गया है।
जन्माष्टमी को देखते हुए हजारों तीर्थयात्री श्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं। इस खास मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया है। जन्माष्टमी के कारण बद्रीनाथ मंदिर रात दो बजे तक खुला रहेगा। रक्षाबंधन की तरह जन्माष्टमी की तारीख को लेकर भी लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है। कोई आज तो कोई कल जन्माष्टमी का त्यौहार बता रहा है. आईये जानते हैं की इस साल जन्माष्टमी के त्यौहार पर भगवान की पूजा का शुभ मुहूर्त किस तारीख को पड़ रहा है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी घरों में छह सितंबर को, वहीं मंदिरों में सात सितंबर को मनाई जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के अध्यक्ष केशव भारती बताते हैं कि सप्तमी और अष्टमी मिलाकर जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती है, इस बार जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त छह सितंबर को रात 11:57 बजे से मध्य रात 12:42 बजे तक है। जिस तिथि में सूर्योदय होता है उसी तिथि में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसलिए मंदिरों में सात सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।