देहरादून/ उत्तराखंड में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए पहली बार सौर कौथिग (सौर ऊर्जा मेला) का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के रेंजर्स ग्राउंड में दो दिवसीय सौर कौथिग का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सोलर वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया, जो अगले 100 दिनों तक पहाड़ के दूरदराज इलाकों में सौर ऊर्जा और उससे जुड़ी सब्सिडी योजनाओं की जानकारी देगी।
मुख्यमंत्री ने की नई सौर नीति की घोषणा—
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए नई सौर नीति बनाई है।
- 100 करोड़ रुपये की लागत से सभी सरकारी भवनों पर सोलर प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं।
- रूफटॉप सोलर पर 70% तक की सब्सिडी और सोलर वाटर हीटर पर घरेलू व गैर-घरेलू उपभोक्ताओं को 30-50% का अनुदान दिया जा रहा है।
- 2026 तक 250 मेगावाट क्षमता वाले सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
- मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत 67 मेगावाट के प्रोजेक्ट पहले ही स्थापित हो चुके हैं और 200 मेगावाट के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सौर समृद्ध उत्तराखंड अभियान प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। जीवाश्म ईंधन के सीमित स्रोतों की तुलना में सौर ऊर्जा असीमित और पर्यावरण के अनुकूल है।
सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भर उत्तराखंड—
ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने जानकारी दी कि प्रदेश में अब तक 28,000 आवेदन आए हैं, जिनमें से 11,000 सोलर प्लांट स्थापित हो चुके हैं। 37 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है। 2027 तक 2000 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
सौर कौथिग में देश और राज्य की लगभग 50 कंपनियों ने स्टॉल लगाए। यहां उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा परियोजनाओं, सब्सिडी योजनाओं और सोलर प्लांट्स की जानकारी दी गई। पीएम सूर्यघर योजना के तहत लाभार्थियों को 51,000 रुपये की सब्सिडी और सोलर वॉटर हीटर योजना के तहत 17,000 रुपये का अनुदान दिया गया।
सौर ऊर्जा के जरिए प्रदेश की विकास गाथा—
पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सौर ऊर्जा सात्विक ऊर्जा का सबसे बड़ा माध्यम है। उत्तराखंड में सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएं हैं, जिनका उपयोग प्रदेश की पारिस्थितिकी और आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में 2030 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखंड सरकार ने 2027 तक राज्य में 14,000 मेगावाट सोलर क्षमता हासिल करने का संकल्प लिया है। सौर कौथिग न केवल उत्तराखंड की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि राज्य के पर्यावरण संरक्षण और विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।