उत्तराखंड में बिजली के बिल में अब हर माह बदलाव दिखाई देगा। उत्तराखंड नियामक आयोग ने प्रदेश में फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट के नए नियम जारी किये हैं। ऐसे में अब यदि यूपीसीएल द्वारा बाजार से महंगी बिजली खरीदता है तो उसका प्रभाव उपभोक्ताओं पर उसी महीने के बिल में दिखाई देना शुरू हो जायेगा। जाहिर है की इस व्यवस्था के बाद प्रदेश के 27 लाख बिजली उपभोक्ताओं का बिल हर महीने कभी घटेगा तो कभी बढ़ेगा।
नियामक आयोग में अध्यक्ष डीपी गैरोला और सदस्य तकनीकी एम0के जैन की पीठ ने एफपीपीसीए पर जनसुनवाई के बाद अंतिम निर्णय दिया है। उत्तराखंड नियामक आयोग ने प्रदेश में फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट के नए नियम जारी किये हैं। इस निर्णय के तहत अब यूपीसीएल की ओर से हर महीने खरीदी जाने वाली बिजली की महंगाई या सस्ते होने का असर बिल पर नजर आएगा। इस नयी व्यवस्था को लागू करने से पहले विधुत नियामक आयोग ने बाकायदा जान सुनवाई की थी, जिसमें लोगों से आपत्ति और सुझाव मांगे गए थे। परन्तु किसी ने भी सुनवाई में दिलचस्पी नहीं दिखाई और पूरी सुनवाई में केवल पांच लोग ऐसे थे जिन्होंनेआपत्ति दर्ज की थी।
इसे यूं देखा जाए कि अगर जून माह में महंगी बिजली खरीदी गई तो उसकी गणना करने के बाद अगस्त माह के बिल में जोड़ा जाएगा और सितंबर में वसूली की जाएगी। वैसे ही जुलाई की महंगी बिजली खरीद की भरपाई सितंबर के बिल में जोड़कर अक्टूबर में वसूल की जाएगी। नियामक आयोग के संयुक्त सचिव गौरव लोहानी ने बताया कि यूपीसीएल हर तिमाही इस वसूली का रिव्यू करेगा और नियामक आयोग में इसकी याचिका दायर करेगा।
बता दें कि अभी तक आयोग, ऊर्जा निगम के लिए हर साल बिजली खरीद का बजट तय करता था। इससे अधिक खर्च होने पर उसका असर, अगले वर्ष से बिजली की बढ़ी दरों के रूप में पड़ता था। आयोग के सचिव एक मीडिया संस्थान को दिए बयान में बताते हैं की नयी व्यवस्था में कुल बिजली खरीदने के लिए तय बजट के बाद खर्च का जो भी अंतर आएगा वो हर माह के बिल में जुड़कर आएगा। अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं हुआ तो बिल में भी बदलाव होगा।
इसमें अच्छी बात ये है कि महंगी बिजली का भार बिजली उपभोक्ताओं पर कुल औसत बिजली दर से 20 प्रतिशत से अधिक नहीं पड़ेगा। उत्तराखंड विधुत नियामक आयोग की नयी व्यवस्था के अनुसार बिजली उपभोक्ताओं को कुल औसत बिजली दर से महंगी बिजली का 20 प्रतिशत से अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
घरेलु उपभोक्ताओं की औसत बिजली बिल की दर 5.33 रुपये यूनिट है। इस लिहाज से अतिरिक्त महँगी बिजली का भार किसी भी सूरत में 1.07 रुपये पार्टी यूनिट से अधिक नहीं पड़ेगा। कमर्शियल 1.50 रुपये प्रति यूनिट, एलटी इंड्रस्टी 1.40 रुपये प्रति यूनिट और एचटी इंड्रस्टी के रेट 1.45 रुपये प्रति यूनिट से रेट नीचे रहेंगे।
अभी तक ऊर्जा निगम गैस और कोयले से चलने वाले पावर प्लांट से जो बिजली खरीदता है उनके लिए फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट हर तीन महीने में होता है। इस मद में हर तीन महीने में फ्यूल चार्ज के रेट बिजली के बिल में बदले हुए दिखते थे। कभी बड़े हुए तो कभी काम नज़र आते थे और कभी कभी तो पूरी तरहं माफ़ भी रहते थे। अब ये फ्यूल चार्ज भी तीन महीने के बजाय हर महीने ही तय होकर उपभोक्ताओं से नियमित रूप से वसूला जायेगा।