विशेष:- कोरोना काल उत्तराखंड

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एक समय उत्तराखण्ड में काबू में आता दिख रहा कोरोना वायरस अब काबू से बाहर जाता नज़र आने लगा है और प्रदेश वासियों को लगातार टेंशन देने लगा है। कोरोना की रफ़्तार थामने  की सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। 15 मार्च को राज्य में कोरोना का पहला मामला आया था मगर उसके बाद अगले कुछ  दिनों में संक्रमण की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गयी और आज खौफ का पर्याय बन गयी है।

हालाँकि बीच में कभी कभी ऐसा लगा की उत्तराखंड में इस वायरस पर जल्द काबू पा लिया जायेगा जब कुछ कुछ दिन के अन्तराल पर कोरोना के मामले शून्य नज़र आये थे, मगर धीरे धीरे कोरोना के मामले रफ़्तार पकड़ते गए और मरीजों के बढ़ते ग्राफ के साथ साथ मौतों का आंकड़ा भी हर दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले एक सप्ताह से जिस तरह कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बड़ा है वह चिंता का सबब बन गया है।
31 जुलाई को जहाँ मौतों का आंकड़ा 80 था तो वहीँ 8 अगस्त तक यह आंकड़ा बढ़कर 117 पर पहुंच गया है और एक दिन में लगभग दोगुने मरीज 501 का मिलना इसकी बढ़ती रफ़्तार की गवाही खुद दे रहा है। एक दिन में कोरोना संक्रमितों का  दिनों दिन बढ़ती मौतें और संक्रिमतों की संख्या एक डरावनी तस्वीर पेश करती है। वहीँ बीती आठ अगस्त को हुई 10 मरीज़ों की मौत अब तक हुई मौतों का सर्वाधिक आंकड़ा हैं।
इन मामलों के बढ़ने का कारण प्रदेश में जांचो की कम गति का होना माना  जा रहा है। अगर बात करें राष्ट्रीय औसत की तुलना की तो प्रदेश में आठ फीसदी जाँच कम हो रही हैं जिसे जिसकी तादात बढ़ाया जाना बेहद जरुरी है। और इसमें भी तुर्रा ये की जिन जनपदों की जनसंख्या अधिक है वहां भी और जहाँ मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं वहां भी कम जाँच हो रही है। राज्य की तकरीबन सवा करोड़ की आबादी में कोरोना मरीज़ों की सवार्धिक हिस्सेदारी मैदानी जिलों हरिद्वार ,देहरादून और उधम सिंह नगर की है बावजूद इसके यहाँ भी जांच की रफ़्तार धीमी है।प्रदेश के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में जितनी ज्यादा सैंपलिंग की जा रही है उसी रफ़्तार से पॉजिटिव केस भी सामने आ रहे हैं।
एक चिंता प्रदेश में जांच का बैकलॉग बढ़ना भी है। प्रयोगशाला में जाँच के लिए सैंपलों का बैकलॉग भी बढ़ता जा रहा है। जितने सैंपलों की जाँच रिपोर्ट हर दिन रिपोर्ट होती है उससे ज्यादा जांचें लंबित हैं। बैकलॉग चिंता का कारण बना हुआ है पहले की तुलना में जांचों का दायरा बढ़ाया तो गया है इसके बावजूद बैकलॉग नहीं निपट रहे हैं। पहले जहाँ केवल हल्दवानी मेडिकल कॉलेज में कोरोना की जांच की जा रही थी वहीँ अब एम्स ऋषीकेश, दून मेडिकल कॉलेज,हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट, और आहूजा पैथोलॉजी समेत अन्य प्राइवेट लैब भी कोरोना की जांच कर रहे हैं, इसके बावजूद बैकलॉग कम करने के नतीजों में कुछ ख़ास कामयाबी मिलती नहीं दिखाई दे रही है।
राज्य में अभी तक हुई 117 मौतों में अकेले 96 प्रतिशत यानी 112 मौत अनलॉक एक, दो और तीन में हुई हैं  इसके इतर लॉकडाउन में यह संख्या केवल पांच थी। अब तक हुई सवार्धिक 85 प्रतिशत मौतें देहरादून,नैनीताल और उधम सिंह नगर में हुई हैं। जिनमे 56 प्रतिशत मौत देहरादून के नाम दर्ज हैं।
शरीर के साथ साथ यह वायरस जिस तरह हमारे सिस्टम, डॉक्टर, सेना, प्रशासन और निगम जैसी संस्थाओं को भी निष्कर्य बना रहा है उनसे पार पाने के लिए सरकार की रणनीति के साथ आमजन को खुद भी सरकार के नियमों अनुसार सतर्क रहना होगा तभी इस वायरस से छुटकारा पाया जा सकता है।

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