उत्तराखंड में अवैध रूप से संचालित मदरसों की जांच को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने राज्य के सभी जिलों में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में समितियां गठित करने और एक माह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह कार्रवाई मदरसों में अवैध गतिविधियों, फंडिंग, और अन्य संदिग्ध मामलों की शिकायतों के बाद शुरू की गई है।
मदरसों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू—
राज्य में 416 मदरसों को उत्तराखंड मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, लेकिन कई मदरसों के बिना मान्यता संचालित होने की शिकायतें सामने आई हैं। पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा इन मदरसों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आईजी कानून व्यवस्था डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि हर जिले में गठित समितियां मदरसों के पंजीकरण, फंडिंग, और संचालन से जुड़े दस्तावेजों की जांच करेंगी।
अवैध फंडिंग और बाहरी छात्रों की जांच—
मुख्यमंत्री धामी ने मदरसों में बाहरी राज्यों के छात्रों की पढ़ाई और अवैध फंडिंग के मामलों को प्राथमिकता से जांचने के आदेश दिए हैं। इसके तहत मदरसों की भूमि, दस्तावेज, और वित्तीय स्रोतों की पड़ताल की जाएगी। समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि मदरसे नियमों के अनुसार संचालित हो रहे हैं या नहीं।
हरिद्वार में 30 मदरसों पर कार्रवाई—
हरिद्वार जिले में 30 मदरसों की शिकायतों पर जांच की गई। इसमें कई मदरसों के लंबे समय से बंद होने और कुछ में वित्तीय अनियमितता व अवैध गतिविधियों की जानकारी मिली। प्रशासन ने ऐसे मदरसों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मदरसा बोर्ड का सहयोग—
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई है। बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि मान्यता प्राप्त मदरसों के दस्तावेजों की जांच जारी है। जो मदरसे बिना मान्यता चल रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों को हो रही फंडिंग का विश्लेषण किया जा रहा है और जहां गड़बड़ियां मिलेंगी, वहां सख्त कदम उठाए जाएंगे।
समस्याओं के समाधान का प्रयास—
मदरसों को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिनमें अवैध गतिविधियों और वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख था। सरकार की यह कार्रवाई ऐसे मदरसों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
समिति की जिम्मेदारी—
जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में बनी समितियां मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का रिकॉर्ड तैयार करेंगी और यह जांचेंगी कि इनमें बाहरी राज्यों के छात्र शामिल तो नहीं हैं। इसके अलावा मदरसों की जमीन और उससे जुड़े दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी।
सरकार का सख्त संदेश—
उत्तराखंड सरकार का यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि अवैध गतिविधियों और नियमों के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि राज्य में शिक्षा और धार्मिक संस्थानों के संचालन में पारदर्शिता और नियमों का पालन अनिवार्य है।
अगले कदम—
समिति की रिपोर्ट आने के बाद, सरकार दोषी मदरसों और उनके संचालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगी। इस अभियान का उद्देश्य न केवल अवैध मदरसों पर लगाम लगाना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि मान्यता प्राप्त मदरसे नियमों के अनुसार कार्य करें और राज्य की सुरक्षा एवं व्यवस्था को कोई खतरा न हो।
उत्तराखंड में यह अभियान अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जहां धार्मिक और शैक्षिक संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत है।