विधानसभा में हुईं भर्तियों पर बयानों से गरमाया माहौल, अब सबकी निगाहें विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी पर

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उत्तराखंड में इन दिनों भर्ती घोटाले के मामलों को लेकर सामाजिक और राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों मुख्य पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर हैं। नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई हैं और उस पर तुर्रा यह की दोनों ही दल अपने द्वारा की गयी नियुक्तियों को तो जायज़ ठहराती हैं वहीँ विपक्षी दलों के द्वारा हुयी नियक्तियों को अवैध बताती हैं। नियुक्तियों पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व स्पीकर व वित्त मंत्री की अलग-अलग प्रतिक्रियाओं ने सियासत को और गरमा दिया है।

देखिये क्या कहते हैं हमारे माननीय इस मसले पर —पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान जो भी नियुक्तियां हुई हैं, उनकी जांच सुप्रीम कोर्ट ने की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी नियुक्तियों को वैध बताया था, जो भी आरोप लगे थे वे उसी समय निराधार साबित हो गए थे। इन नियुक्तियों पर सवाल उठाना सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।
पूर्व स्पीकर व वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यदि उनके कार्यकाल की भर्तियों की जांच होती है तो इसमें उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने दोहराया कि आवश्यकता होने पर ही नियुक्तियां की जाती हैं। सूत्रों के मुताबिक, स्पीकर के लौटने के बाद इसी हफ्ते विधानसभा में भर्तियों की जांच पर फैसला हो सकता है।
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कूद पड़े हैं। उन्होंने चुनौती दी कि उनके अब तक के सार्वजनिक जीवन में एक ऐसा व्यक्ति बता दें जो उनके परिवार, नातेदार या रिश्तेदारी से हो और उसे उनके प्रभाव से नौकरी दी गई हो। वर्ष 2016 में रावत के मुख्यमंत्रित्वकाल में ही तत्कालीन स्पीकर कुंजवाल ने विस में 158 भर्तियां कीं, जिन पर सवाल उठ रहे हैं। उन्हें हरीश रावत के सबसे करीबी राजनेताओं में माना जाता है। हरीश रावत ने राज्य में तमाम विभागों में नियुक्ति में धांधली के सवाल पर कहा कि सभी भर्तियों की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
विधानसभा में भर्ती पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी सवाल उठाने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि विधानसभा कानून बनाती है, वहां न्याय होना चाहिए। उसके लिए लोक हित व राज्य हित सर्वोपरि होना चाहिए। भर्तियों के लिए नियम-कायदे बनें हैं उनका पालन हो। पारदर्शिता कहने के लिए नहीं दिखनी भी चाहिए।
विधानसभा की सभी भर्तियों की जांच कराए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी स्पीकर से अनुरोध करने की बात कह चुके हैं। अब सबकी निगाहें विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी पर लगी हैं।

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