उत्तराखंड बस हादसा: एक मार्मिक त्रासदी और सरकार की सख्त कार्यवाही

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4 नवंबर की सुबह एक प्राइवेट बस नैनीडांडा, पौड़ी गढ़वाल से रामनगर के लिए निकली थी। लेकिन, अल्मोड़ा के पास मार्चूला में, चालक का बस से नियंत्रण हट जाने के बाद, 42-सीटर बस में सवार 63 यात्रियों की जान खतरे में आ गई। एक पल में खुशी के सफर ने मातम का रूप ले लिया जब बस बेकाबू होकर गहरी खाई में जा गिरी। इस दुर्घटना में 36 लोगों ने अपनी जान गंवाई, और 27 लोग घायल हुए। हादसे की दर्दनाक गूंज ने न सिर्फ प्रभावित परिवारों को बल्कि पूरे प्रदेश को शोक में डुबो दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की संवेदना और सख्त निर्णय—

इस घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्य के लिए गहरा शोक बताते हुए उत्तराखंड स्थापना दिवस के सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को स्थगित करने का आदेश दिया है। इसके बदले, 8 नवंबर को सेवा और स्वच्छता के कार्यक्रम आयोजित होंगे। ऐसे समय में सरकार ने राज्य को इस पीड़ा में साथ खड़े रहने का संदेश दिया है। इस त्रासदी की गहराई को समझते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, “पूरा प्रदेश शोक में है। इसलिए स्थापना दिवस शांतिपूर्वक मनाया जाएगा।”

सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा और चौकी प्रभारियों की जिम्मेदारी—

इस दुर्घटना ने राज्य की यातायात सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि पहाड़ी मार्गों पर दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से क्रैश बैरियर लगाए जाएं। साथ ही, रोडवेज के अधिकारियों के साथ बैठक कर पर्वतीय क्षेत्रों में अतिरिक्त बसों की व्यवस्था का निर्णय लिया गया है, ताकि क्षमता से अधिक यात्रियों की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने चौकी प्रभारियों की जिम्मेदारी भी तय करने के निर्देश दिए हैं और स्पष्ट किया है कि लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

पीड़ित परिवारों की मदद का आश्वासन—

हादसे में अपने माता-पिता को खोने वाली बच्ची शिवानी (चित्र साभार – सोशल मीडिया )

मुख्यमंत्री ने इस हादसे में अपने माता-पिता को खोने वाली बच्ची शिवानी की देखभाल और शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिवानी का संपूर्ण खर्च वहन करेगी ताकि वह अपने माता-पिता के अधूरे सपने पूरे कर सके। यह पहल बताती है कि सरकार केवल कठोर नियमों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के साथ भी खड़ी है।

हादसे का कारण: मानसिक तनाव में थे चालक दिनेश सिंह—

हादसे के समय बस में ड्राइवर के बगल की सीट पर बैठे घायल यात्री विनोद पोखरियाल ने बताया कि चालक दिनेश सिंह लंबे समय से मानसिक तनाव में था। उस पर 2.5 लाख रुपये का कर्ज था, जिसे 15 दिनों के भीतर चुकाने का दबाव उस पर था। विनोद के अनुसार, आर्थिक दबाव के कारण वह मानसिक रूप से अस्थिर महसूस कर रहा था, और शायद यही कारण दुर्घटना की वजह बना। यह तथ्य परिवहन विभाग के लिए एक बड़ा सबक है कि सिर्फ वाहनों की तकनीकी जांच ही नहीं, बल्कि चालकों की मानसिक स्थिति और उनके व्यक्तिगत तनावों का आकलन भी अत्यंत आवश्यक है।

सरकारी निर्णय: दुर्घटना की गहन जाँच और सुधारात्मक कदम—

अल्मोड़ा बस हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमाऊं कमिश्नर इस हादसे की जांच कर रहे हैं और इस बात पर जोर दिया गया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने उन सभी पुलिस चौकियों से भी जवाब मांगा है, जहां-जहां से यह ओवरलोड बस निकली थी। सरकार का फोकस अब घायलों के उचित उपचार पर भी है, और हर जिलाधिकारी को घायलों और पीड़ित परिवारों से व्यक्तिगत तौर पर मिलने का निर्देश दिया गया है।

यह हादसा उन अनदेखी हुई कमजोरियों की ओर इशारा करता है जो यात्रियों और ड्राइवरों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं। उत्तराखंड सरकार ने न केवल संवेदनशीलता दिखाई है बल्कि तत्काल सुधारात्मक कार्यवाही का संकल्प भी लिया है। बस हादसे में पीड़ित परिवारों की मदद से लेकर सख्त सुरक्षा नियमों को लागू करने तक, सरकार का रुख इस बात का संकेत है कि शायद अब सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता नहीं किया जाएगा।

 

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