उत्तराखंड कैबिनेट ने बुधवार को अपनी महत्वपूर्ण बैठक में सशक्त भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस ऐतिहासिक फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की। उन्होंने कहा कि यह कानून राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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कैबिनेट में पारित प्रमुख प्रावधान:—
- 2018 के सभी प्रावधान निरस्त: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधान नए कानून में समाप्त कर दिए गए हैं।
- बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध: हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में बाहरी व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
- पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती: पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
- जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित: जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे, बल्कि सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
- ऑनलाइन पोर्टल से निगरानी: भूमि खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जिससे राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद दर्ज होगी।
- शपथ पत्र अनिवार्य: बाहरी लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा, जिससे फर्जीवाड़े और अनियमितताओं को रोका जा सके।
- नियमित रिपोर्टिंग: सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट नियमित रूप से सौंपनी होगी।
- नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग: नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी
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नए भू-कानून का प्रभाव:—
- बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
- पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
- भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
- सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
कैबिनेट बैठक के अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव:—
कैबिनेट बैठक में भू-कानून के अलावा कई अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। इनमें शामिल हैं:
- उत्तराखंड ऑनलाइन दस्तावेज़ रजिस्ट्रीकरण नियमावली-2025
- परिवहन विभाग की रोड सेफ्टी पॉलिसी
- शिक्षा विभाग में बीआरपी-सीआरपी व चतुर्थ श्रेणी के 4100 पदों पर भर्ती
- प्रदेश के सभी नगर निकायों में एक समान टैक्स प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव
- पुराने बाज़ारों को नए सिरे से विकसित करने के लिए री-डेवलपमेंट नीति
- उत्तराखंड के राजकीय मेडिकल कॉलेज में पीजी करने वाले डॉक्टरों के लिए दो साल तक दूसरे राज्यों में नौकरी न करने का प्रस्ताव
- एकल महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना
भू-कानून को लेकर विरोध और सरकार का जवाब:—
उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों ने लंबे समय से भू-कानून को सशक्त बनाने की मांग की थी। मंगलवार को विधानसभा के बाहर इस मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन भी हुआ। पूर्व विधायक भीमलाल आर्या ने विधानसभा गेट पर प्रदर्शन किया, जिसके चलते उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। भू-कानून संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली।
इस विरोध को देखते हुए सरकार ने संदेश दिया है कि वह सशक्त भू-कानून लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसीलिए विधानसभा के बजट सत्र में भू-कानून संशोधन विधेयक पारित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री धामी का बयान:—
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक हमारी सरकार! प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए कैबिनेट ने सशक्त भू-कानून को मंजूरी दी है। यह प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर, संसाधनों और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और हम उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे।”
उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य की मूल पहचान को बनाए रखने और बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद को रोकने में मील का पत्थर साबित होगा। कैबिनेट में पारित यह विधेयक प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।