देहरादून/ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज 25 जून को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चार अहम प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। करीब पौने दो घंटे तक चली इस कैबिनेट बैठक में जहां शिक्षा, स्वच्छता और पंचायती राज से जुड़े विषयों पर निर्णय लिए गए, वहीं आगामी वर्षाकालीन विधानसभा सत्र की तिथि और स्थान तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री को सौंपा गया है।
मानसून सत्र की तिथि और स्थान तय करेंगे सीएम
बैठक के दौरान उत्तराखंड विधानसभा के वर्ष 2025 के वर्षाकालीन द्वितीय सत्र को लेकर चर्चा की गई। मंत्रिमंडल ने सत्र की तिथि और स्थान तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रदान किया है। इससे स्पष्ट है कि सत्र की रूपरेखा अब सीधे मुख्यमंत्री के निर्णय पर आधारित होगी।
इन चार प्रस्तावों पर कैबिनेट की मुहर:
-
उत्तराखंड विशेष शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली, 2025 को मंजूरी:
सुप्रीम कोर्ट के 7 मार्च 2025 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 135 विशेष शिक्षा शिक्षकों के पद सृजित किए थे। इसके तहत 20 मार्च 2025 को सेवा नियमावली में संशोधन किया गया था। अब इस नियमावली को कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई है, जिससे भर्ती की प्रक्रिया को कानूनी मान्यता मिल गई है। -
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तृतीय चरण के लिए अधिकृत किया गया पंचायती राज विभाग:
मिशन के तीसरे चरण को 1 अप्रैल 2026 से लागू करने की तैयारी के तहत पंचायती राज विभाग को इसे लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। -
उत्तराखंड पंचम विधानसभा वर्ष 2025 का वर्षाकालीन सत्र आहूत किए जाने को मंजूरी:
सत्र के आयोजन को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन तिथि और स्थान का निर्धारण मुख्यमंत्री करेंगे। -
एकल सदस्य समर्पित आयोग की तृतीय रिपोर्ट पर बनी मंत्रिमंडलीय उप समिति की संस्तुतियों को रखा गया:
इस रिपोर्ट के आधार पर भविष्य की नीतियों को दिशा देने के लिए सुझावों को मंत्रिमंडल के सामने प्रस्तुत किया गया।
शिक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम
विशेष शिक्षा के क्षेत्र में यह निर्णय ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि इससे न केवल दिव्यांग बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि राज्य में विशेष शिक्षा को लेकर व्यापक सुधार की संभावना भी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई यह कैबिनेट बैठक राज्य की शिक्षा, स्वच्छता और विधायी गतिविधियों के लिहाज़ से कई महत्वपूर्ण फैसलों से भरी रही। खासकर विशेष शिक्षा शिक्षक नियमावली को मंजूरी देना एक सकारात्मक सामाजिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।