चुनावी रंगत में सजा उत्तराखंड: बल्ला, कप-प्लेट और बल्लेबाज के निशान पर लहराएंगे सपने

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उत्तराखंड के आसमान में इन दिनों चुनावी रंग बिखर रहे हैं। प्रदेश में 23 जनवरी को होने वाले निकाय चुनावों की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। जगह-जगह होर्डिंग्स, जनसभाओं की गूंज और प्रत्याशियों की घोषणाओं ने माहौल को सरगर्म कर दिया है। इस बार चुनावी मैदान में निर्दलीय प्रत्याशियों की बड़ी फौज उतरी है, जो जनता के दिलों को जीतने के लिए अपने अनोखे चुनाव चिह्नों के सहारे अलग पहचान बनाने की कोशिश में हैं।

निर्दलीयों के निशान: बल्ला, बैल, और बहुत कुछ—

निर्वाचन आयोग ने निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए 45 चुनाव चिह्न निर्धारित किए हैं। इनमें बल्ला, बैल, घड़ी, पेड़, और कप-प्लेट जैसे निशान शामिल हैं। जहां एक प्रत्याशी बल्ले से जनता की उम्मीदों को उड़ान देने का वादा कर रहा है, वहीं कोई बैल के सहारे विकास की नई राह बनाने की बात कर रहा है। यह चुनाव सिर्फ विकास की योजनाओं का ही नहीं, बल्कि चुनावी निशानों की पहचान का भी संग्राम बन चुका है।

राजनीतिक दलों का दबदबा, लेकिन निर्दलीय के सपने भी बड़े—

राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), और उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) जैसे प्रमुख दल अपने आरक्षित चुनाव चिह्नों के साथ मैदान में हैं। भाजपा-कमल, कांग्रेस-हाथ और यूकेडी-कप-प्लेट जैसे चिह्नों के साथ अपने प्रत्याशियों को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने प्रतीकों के साथ जनता से जुड़ने की कोशिश में लगे हैं।

गांव-गांव में छा रही चुनावी चर्चा—

गांवों और शहरों के नुक्कड़ पर चुनावी चर्चा जोरों पर है। चाय की चुस्कियों के साथ लोग यह तय करने में व्यस्त हैं कि बल्ला जोर मारेगा या बैल भारी पड़ेगा। युवा सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों के समर्थन में अपनी राय साझा कर रहे हैं, तो बुजुर्ग परंपरागत तरीके से घर-घर जाकर अपने पसंदीदा प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर रहे हैं।

जनता का उत्साह और प्रत्याशियों का जोश—

23 जनवरी को मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, प्रत्याशियों का जोश और जनता का उत्साह अपने चरम पर है। हर कोई अपने सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए उत्सुक है। निर्दलीय प्रत्याशी अपने प्रतीकों के साथ जनता से सीधा जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं, तो बड़े दल जनता को अपने अनुभव और नीतियों से लुभाने में जुटे हैं।

यह चुनाव न केवल विकास की दिशा तय करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि जनता अपने सपनों के उत्तराखंड को बनाने के लिए किसके प्रतीक पर भरोसा करती है।


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