देहरादून/ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने देश की पहली राज्य स्तरीय योग नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के माध्यम से योग को राज्य में सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और पर्यटन आधारित मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।
कैबिनेट की इस बैठक में कुल 11 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिनमें योग नीति को सबसे अहम माना जा रहा है। इस नीति के जरिए उत्तराखंड के पांच क्षेत्रों को योग हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय योग और आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है।
पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में सब्सिडी की व्यवस्था
योग नीति के अंतर्गत राज्य सरकार योग एवं ध्यान केंद्र स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता भी देगी।
- पर्वतीय क्षेत्रों में: 50 प्रतिशत या अधिकतम ₹20 लाख तक की सब्सिडी
- मैदानी क्षेत्रों में: 25 प्रतिशत या अधिकतम ₹10 लाख तक की सब्सिडी
इस पहल से 13,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई जा रही है।
राज्य के लक्ष्य और रणनीतियाँ
नई नीति में वर्ष 2030 तक उत्तराखंड में कम से कम पांच नए योग हब स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, मार्च 2026 तक प्रदेश के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं शुरू की जाएंगी।
सरकार योग को जन-जन तक पहुँचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाएगी, और इसे स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा। साथ ही, योग संस्थानों के लिए गुणवत्ता मानक और दिशा-निर्देश भी तैयार किए जाएंगे।
इसके अलावा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग कर योग के क्षेत्र में क्षमता निर्माण किया जाएगा, तथा विश्वस्तरीय योग केंद्रों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
माइंडफुलनेस कार्यक्रम भी होंगे शुरू
नीति के अंतर्गत समुदाय-आधारित माइंडफुलनेस कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे, जो विभिन्न आयु, लिंग और वर्ग की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले बड़ा कदम
कैबिनेट द्वारा इस योग नीति को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले मंजूरी देना दर्शाता है कि राज्य सरकार योग को न केवल सांस्कृतिक धरोहर मानती है, बल्कि इसे आर्थिक और रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण अवसर के रूप में भी देख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेगी, बल्कि उत्तराखंड को योग और आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।