अपनी जमीन बचाने के लिए एकजुट हुए ग्रामीण: ग्राम पंचायत कोट ने लिया ऐतिहासिक संकल्प

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अपनी जमीन बचाने के लिए एकजुट हुए ग्रामीण: ग्राम पंचायत कोट ने लिया ऐतिहासिक संकल्प

चित्र साभार – सोशल मीडिया

अपनी जमीन बचाने के लिए ग्रामीण अब एकजुट होने लगे हैं। टिहरी गढ़वाल जनपद के थौलधार ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत कोट में भूमि संरक्षण को लेकर एक अभूतपूर्व पहल सामने आई है। ग्राम पंचायत कोट की दिनांक 26 नवंबर 2025 को आयोजित शपथ ग्रहण एवं प्रथम बैठक में पारित प्रस्तावों को 24 दिसंबर 2025 को ग्राम सभा की खुली आम बैठक में भी सर्वसम्मति से अनुमोदित कर दिया गया। यह निर्णय न केवल गांव की जमीन बचाने की दिशा में मजबूत कदम माना जा रहा है, बल्कि पूरे पहाड़ के लिए एक मिसाल भी बन सकता है।

टिहरी गढ़वाल जनपद के थौलधार ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत कोट में भूमि संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की गयी। इस दौरान हुयी बैठक में तेजी से हो रहे भूमि विक्रय—पर गंभीर चर्चा हुई। बैठक में बताया गया कि ग्राम सभा कोट के लगभग 10 हजार खेतों में से करीब 2700 खेत बाहरी लोगों को बेचे जा चुके हैं, जिससे गांव की सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संरचना पर गहरा संकट खड़ा हो गया है।

गहन विचार-विमर्श के बाद ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से कई अहम प्रस्ताव पारित किए—

  • 1- कोई भी भूमि विक्रेता अब ग्राम पंचायत को लिखित सूचना देगा कि वह किस उद्देश्य से भूमि बेचना चाहता है।
  • 2- विक्रेता को यह भी लिखित आश्वासन देना होगा कि खरीदार द्वारा गोचर भूमि, जल स्रोतों, पनघटों, रास्तों और पशु चराई क्षेत्रों पर अतिक्रमण नहीं किया जाएगा
  • 3- भूमि विक्रय में प्राथमिकता गांव के नागरिकों, भाई-बंधुओं अथवा पड़ोसियों को दी जाएगी, ताकि पीढ़ियों से चली आ रही ‘पहले पड़ोसी’ की परंपरा और भाईचारा जीवित रह सके
  • 4- समस्त सह-खातेदारों की लिखित सहमति के बिना अंशधारी भूमि की बिक्री को अमान्य घोषित करने का प्रस्ताव जिलाधिकारी को भेजने का निर्णय लिया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि ऑनलाइन खतौनी और ढीले कानूनों का लाभ उठाकर भू-माफिया गांव की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। कई मामलों में दिल्ली-मुंबई में रह रहे सह-खातेदारों की जानकारी के बिना रजिस्ट्री कर दी गई, जिससे भाई-भाई के बीच विवाद, मुकदमे और जबरन जमीन बिक्री जैसी स्थितियां बनीं। इससे न केवल गांव खाली हो रहे हैं, बल्कि भविष्य में जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) बदलने और सामाजिक संघर्ष बढ़ने की आशंका भी जताई गई।

इन निर्णयों से ग्राम पंचायत कोट में भूमि लेन-देन पर सामुदायिक निगरानी स्थापित होगी। पंचायत को अग्रिम सूचना मिलने से अवैध रजिस्ट्री, फर्जी सहमति और भू-माफिया की भूमिका पर रोक लगेगी। गांव के भीतर ही भूमि खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलने से पलायन रुकेगा, सामाजिक रिश्ते मजबूत होंगे और खेती, गोचर, जल स्रोत व सांस्कृतिक परंपराएं सुरक्षित रहेंगी। यह मॉडल अन्य पहाड़ी गांवों के लिए भी भूमि संरक्षण का प्रभावी रास्ता दिखा सकता है।

ग्राम सभा ने यह प्रस्ताव माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड एवं जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल को प्रेषित करते हुए मांग की है कि पंचायतों को अधिक अधिकार दिए जाएं, ताकि वे प्रभावी ढंग से गांवों की जमीन और संसाधनों की रक्षा कर सकें। अंत में ग्रामीणों से विशेष अपील की गयी कि वे अपनी मातृभूमि को बचाने का संकल्प लें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पहाड़, पहचान और परंपरा सुरक्षित रह सके।


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