उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी गर्मी चरम पर है, इस सियासी गर्मी का कारण मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का दिल्ली माना जा रहा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दिल्ली भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ प्रदेश में उपचुनाव को लेकर बातचीत की, मुख्यमंत्री अभी दिल्ली में ही हैं लिहाजा आज एक बार फिर मुख्यमंत्री की पार्टी नेतृत्व के साथ बातचीत हो सकती है। भाजपा के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा मुख्यमंत्री को विधायक निर्वाचित कराने की है।
भाजपा अजीबोगरीब संवैधानिक संकट से जूझ रही है, संकट इतना अजीब है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को उपचुनाव लड़ने के लाले पड़ गए हैं। तीरथ कुछ समय पहले हुए सल्ट विधानसभा के उपचुनाव को लड़ने की हिम्मत जुटा लेते तो फिर इस तरह की नौबत नहीं आती। हालांकि उन्हें गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ाने पर भी पार्टी विचार कर रही है, स्थितियां ऐसी भी बन रही हैं कि भाजपा तीरथ को हटाकर उत्तराखण्ड को नया मुख्यमंत्री देने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर सकती है।
उत्तराखण्ड में आम आदमी पार्टी ने इस सियासी तिकड़म को भांपते हुए सनसनीखेज तरीके से उपचुनावी ताल ठोक दी है। वो भी उस वक्त जब राज्य में सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष भी सियासी अस्थिरता से जूझ रहा है। दोनों ही दलों में ये अंदरूनी संकट राजनेताओं की आपसी गुटबाजी और अतिमहत्वकांक्षा से उपजा हुआ है।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 में से 57 सीटों का प्रचण्ड बहुमत मिला, लेकिन प्रचंड बहुमत होने के बावजूद भी भाजपा ने पहले त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री के पद से हटाया और अब तीरथ को हटाए जाने की स्थिति बन गई है। ठीक ऐसे समय में विपक्ष भी मुखर होने के बजाए भीतरी संकट का सामना कर रहा है। प्रदेश में विरोधी दल कांग्रेस के कुल जमा 10 विधायक हैं। नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के आकस्मिक निधन के बाद अंगुली में गिने जाने वाले ये विधायक भी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पाने को एक-दूसरे की टांग खिंचाई कर रहे हैं। पार्टी हाईकमान से मिले प्रदेश कांग्रेस का मुखिया बदले जाने के संकेतों ने कांग्रेस के इस संकट को और पेंचीदा बना दिया है। हरीश रावत का खेमा इन दोनों अहम पदों पर अपना कब्जा चाहता है।
अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सत्ताधारी और विरोधी दल दोनों अचानक उपजे सियासी संकटों का सामना कर रहे हैं। इधर, मौके का फायदा उठाने की फिराक में बैठी आम आदमी पार्टी इसे खुद के लिए सुनहरा अवसर मान रही है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के खिलाफ अपने सीएम कैंडिडेट कर्नल अजय कोठियाल को उपचुनाव लड़ाने का ऐलान करके आप ने सियासी सनसनी मचाने में कोई देर नहीं की।