देश में विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू हो गयी है, इस वर्ष रथ यात्रा पर पुष्य नक्षत्र, हर्षण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव वास जैसे शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. इस मौके पर राष्ट्रपति पीएम मोदी ओडिशा के सीएम व राज्यपाल ने शुभकामनाएं दी है।
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नगर भ्रमण करने के लिए भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम संग निकल रहे हैं, भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र के रथ यात्रा के दौरान सबसे आगे रहता है. इसने रथ का नाम तालध्वज है, जिसकी ऊंचाई 43.30 फीट है और इसमें 14 पहिए होते हैं. बलभद्र के रथ का रंग लाल और हरा होता है। इस रथ के सारथी मातलि हैं।
सबसे पीछे जगन्नाथ का रथ होता है, जिसे नंदीघोष का नाम दिया गया है। वहीं बीच में बहन सुभद्रा का रथ होता है। इसे दर्पदलन कहा जाता है।
भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष है। इसके साथ ही इसे गरुड़ध्वज भी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 42.65 फीट होती है और इसमें 16 पहिए लगे होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। इस रथ के सारथी दारुक हैं, जोकि भगवान को रथ पर विराजित कर पूरे नगर का भ्रमण कराते हैं।
ପବିତ୍ର ରଥଯାତ୍ରା ନିମନ୍ତେ ପରମ୍ପରା ଅନୁଯାୟୀ ତିନି ନବ ନିର୍ମିତ ରଥର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ପୂଜା ସମ୍ପନ୍ନ ହୋଇଛି । #RathaYatra2024 #JaiJagannatha pic.twitter.com/2SJasIwbXH
— Shree Jagannatha Temple, Puri (@JagannathaDhaam) July 7, 2024
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जगन्नाथ यानी कि जगत के नाथ जो ब्रह्मांड के भगवान और श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को ओडिशा के पुरी में प्रभु की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ के साथ दो और रथ इस यात्रा में शामिल होते हैं, जिसमें उनके भाई और बहन शामिल होते हैं। यात्रा के लिए तैयार होने के बाद तीनों रथों की पूजा की जाती है। उसके बाद सोने की झाड़ू से रथ मंडप और रथ यात्रा के रास्ते को साफ किया जाता है।
धार्मिक पुराणों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की इस रथयात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य का फल मिलता है। यही कारण भी है कि दुनियाभर से लोग इस यात्रा में शामिल होने पहुंचते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा, रथ यात्रा के दौरान नवग्रहों की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने मात्र से ही अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है।
Jagannath Rath Yatra Today
Mahaprabhu Jagannath, Balabhadra & sister Subhadra will bless their devotees
Jai Jagannath 🙏 pic.twitter.com/7y5nJwh9GR
— Anu Satheesh 🇮🇳🚩 (@AnuSatheesh5) July 7, 2024
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हर साल इस रथ यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन से ही शुरू हो जाती है। पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथों का निर्माण होता है। इसके लिए नीम की परिपक्व और पकी हुई लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे दारु कहा जाता है। खास बात यह कि पूरे रथ में लकड़ी के अलावा अन्य किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार बहन सुभद्रा ने अपने भाइयों कृष्ण और बलराम जी से नगर को देखने की इच्छा प्रकट की। फिर दोनों भाइयों ने बड़े ही प्यार से अपनी बहन सुभद्रा के लिए भव्य रथ तैयार करवाया और उस पर सवार होकर तीनों नगर भ्रमण के लिए निकले थे। रास्ते में तीनों अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और वहां पर 7 दिन तक रुके और उसके बाद नगर यात्रा को पूरा करके वापस पुरी लौटे। तब से हर साल तीनों भाई-बहन अपने रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं और अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाते हैं। इनमें सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथजी का रथ होता है।
दशकों पुरानी परंपरा के अनुसार, रथ यात्रा शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए रात आठ बजे तक लौटेगी, इनमें साम्प्रदायिक रूप से कुछ संवेदनशील इलाके भी शामिल हैं। यात्रा में आम तौर पर 18 सुसज्जित हाथी, 100 ट्रक और 30 अखाड़ों के लोग शामिल होते हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी 1,733 ‘बॉडी कैमरे’ से यात्रा पर करीबी नजर रखेंगे। इसके अलावा यात्रा मार्ग पर 47 स्थानों पर 20 ड्रोन और 96 निगरानी कैमरा भी लगाए गए हैं।
ये होगी रूपरेखा—
-वैदिक पंचांग के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा 07 जुलाई को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी।
– यह यात्रा सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक निकाली जाएगी।
– इसके बाद यात्रा दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से फिर से शुरू होगी।
– इस बार यात्रा 01 बजकर 37 मिनट पर विश्राम लेगी।
– इसके बाद शाम 04 बजकर 39 मिनट से यात्रा शुरू होगी।
– अब यह यात्रा 06 बजकर 01 मिनट तक चलेगी।