एक नज़र! लोह पथ गामिनी

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रिपोर्ट-ओम जोशी

भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160  वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा  है। जिसके 13 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है बल्कि बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने के साथ साथ देश व राष्‍ट्रीय अखंडता का भी एक सूत्र में पिरोती है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे का इतिहास हमेशा ही अग्रणी रहा है। दुनिया में  भारतीय रेल अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती है और वह आज भी अपनी कई खूबियों और खामियों को खुद में समेटे वह यात्रियों के इंतज़ार में अपने लौह पथ पर खड़ी दिखाई देती है।

हर वक्त यात्रियों की भीड़ से गुलज़ार रहने वाला रेलवे प्रांगण आज सुनसान दिखाई देता है

कोविड-19 जैसी संक्रामक बिमारी की वजह से आज भारतीय रेल के पहिये थमे हुए हैं करीब डेढ़ महीने से ट्रेनें प्लेटफार्म में जहाँ की तहाँ खड़ी नज़र आती हैं

भारतीय यात्री ट्रेनों का इतिहास 166 साल पुराण है इतने वर्षों से भारतीय रेल लगातार चलती रही हैं। 166 वर्षों में पहली बार हुआ की इन ट्रेनों के पहिये रुके हैं और ट्रेनों का संचालन बंद हुआ है इतने सालों में  कभी भी ऐसा नहीं हुआ।

दुनिया के दो विश्वयुद्ध , भारत के बंटवारे सहित भारत ने इस दौरान कई भीषण महामारियों का सामना किया मगर ट्रेनें अपनी पटरियों पर दौड़ती रही।

कोविड़-19 रोकथाम के लिए गठित हाई पावर कमेटी ने निर्णय लिया है की ट्रेनें संचालित कर लोगों को जल्द से जल्द लाया जाये प्रदेश सरकार ने राज्य से बाहर विभिन्न स्थानों में फंसे लोगों की वापसी लिए केंद्र को 12 ट्रेनें संचालित करने का प्रस्ताव भेज रही है।

राज्य सभा सांसद एवं भाजपा राष्ट्रिय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने रेल मंत्री पियूष गोयल से उत्तराखंड के लोगों की सकुशल घर वापसी के लिए विशेष ट्रेन चलाने का अनुरोध किया है।

इतना तो तय है की अब रेल यात्रा के तौर तरीकों में बड़ा बदलाव होगा और स्वछता और यात्रियों की सुरक्षा सम्बंधी नियमो का कड़ाई से पालन किया जायेगा जिससे की यात्रा सुगम और सुरक्षित बने।


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