कुवैत में एक नए विचाराधीन कानून को लेकर वहां रहने वाले लगभग 10 लाख भारतीय चिंतित हैं। कुवैत की सरकार अब देश में काम करने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या कम करना चाह रही है जिसके लिए एक कानून का मसौदा तैयार किया गया है। हालाँकि इस कानून का असर सभी देशों के नागरिकों पर होगा, लेकिन इसका सबसे बड़ा फर्क भारतीयों पर पड़ने जा रहा है कुवैत में लगभग 10 लाख से भी ज्यादा भारतीय रहते हैं। अंग्रेजी अखबार “अरब न्यूज़” और गल्फ़ न्यूज़ के अनुसार कुवैत की नेशनल एसेम्बली में कुवैत की क़ानूनी समिति ने प्रवासियों पर तैयार हो रहे एक बिल के प्रावधान को विधिसंवत माना है। ख़बरों के अनुसार मंजूरी के लिए इस प्रस्ताव को अभी दूसरी समितियों के पास भेजा जाने वाला है। इस कानून में कहा गया है कि कुवैत में रहने वाले भारतीयों की तादाद को देश की कुल आबादी के 15 फीसदी तक सीमित किया जाना चाहिए इस कारण समझा जा रहा है की कुवैत में रहने वाले तकरीबन 10 लाख प्रवासियों में से पांच से सात लाख भारतीयों पर वतन वापसी की तलवार लटकने वाली है उन्हें वापस लौटना पड सकता है।
सऊदी अरब के के उत्तर और इराक के दक्षिण में बसे इस छोटे से मुल्क की तकरीबन आबादी 48 लाख के करीब है , कुल आबादी में मूल कुवैतियों की जनसंख्या महज तेरह से चौदह लाख ही है बाकी यहाँ रहने वाले भारत, मिश्र, फ़िलीपीन्स, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और दूसरे मुल्कों के प्रवासियों में से आती हैं। ख़बरों के मुताबिक प्रस्तावित कानून में दूसरे देशों से आकर कुवैत में रहने वाले लोगों की तादाद को काम करने की बात कही गयी है कहा गया है की प्रवसियों की तादाद वर्तमान स्तर से कम करके कुल आबादी के 30 प्रतिशत तक लाया जायेगा। पिछले साल एक कुवैती सांसद ख़ालिद अल-सालेह ने एक बयान जारी कर सरकार से मांग की थी कि “प्रवासियों के तूफ़ान को रोका जाना चाइये जिन्होंने नौकरियों और हुक़ूमत के ज़रिये मिलने वाली सेवाओं पर कब्ज़ा जमा लिया है”
इस समय व्यापार से लेकर तकरीबन सारे क्षेत्र में भारतीय मौजूद हैं ,कुवैती घरों में ड्राइवर, बावर्ची से लेकर आया तक का काम करने वालों की संख्या तीन से चार लाख तक बताई जाती है। हालाँकि कुवैत के स्थानीय अंग्रेजी अखबार “टाइम्स कुवैत” के अनुसार प्रवासियों पर बिल को अभी महज कानूनी समिति द्वारा संविधान के अनुकूल माना गया है. अभी इसे कई और समितियों जैसे मानव संसाधन समिति और दूसरे चरणों से गुजरना होगा, इसके बाद ही यह बिल के तौर पर पेश हो सकेगा, इसके कानून बनने की बात उसके बाद ही मुमकिन है।
धीरे धीरे बड़ी संख्या में प्रवसियों को आकर्षित करते-करते कुवैत एक प्रवासी बहुल देश बन कर रह गया है और यहाँ के लोग अपने हि देश में अल्पसंख्यक की स्थिति में हैं जिसकी वजह से अब वहां प्रवासी-विरोधी भावनाएं जोर मारने लगी हैं यही कारण है कि सरकार को इस समस्या पर ध्यान देना पड़ा है उन्हें उम्मीद है की यह बिल अपने लोगों को रोज़गार मुहैया करने में कारगर साबित होगा।