‘घसियारी’

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पहाड़ और पहाड़ जैसा जीवन
गांव आज भी महिला शक्ति के सहारे हैं
भोर से पहले जागना और अंतिम पहर सोना यही उनका जीवन है
पूरा भार खुद उठाने में सक्षम
जीवटता से भरी हुई
नारी तुझे सलाम

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2 thoughts on “‘घसियारी’

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