देहरादून/ 21 जून को 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड में भव्य और विविध योग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पूरे राज्य में लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और योग के महत्व को आत्मसात किया। इस अवसर पर राजधानी देहरादून स्थित पुलिस लाइन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा, जिसकी शोभा देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमामयी उपस्थिति से और भी बढ़ गई।
कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.), कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, और बड़ी संख्या में योग प्रेमियों, अधिकारियों व आम नागरिकों ने हिस्सा लिया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने योग को भारत की चेतना और समृद्ध विरासत का केंद्र बताते हुए इसे भारत की सॉफ्ट पावर का प्रभावी प्रतीक कहा। उन्होंने कहा कि, “योग व्यक्ति को व्यक्ति, समुदाय को समुदाय और राष्ट्र को राष्ट्र से जोड़ता है। यह वैश्विक स्वास्थ्य और सौहार्द का सेतु बन चुका है।” उन्होंने अपील की कि योग को जनसुलभ और जीवनशैली का हिस्सा बनाया जाए।
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि योग भारत की प्राचीनतम सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है, जिसने संपूर्ण विश्व को जोड़ने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” भारत की सनातन सोच “वसुधैव कुटुंबकम्” का जीवंत उदाहरण है। यह हमें हमारी प्रकृति, पर्यावरण और सामाजिक संरचना से गहराई से जुड़े होने का स्मरण कराता है।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड जैसे आध्यात्मिक और प्राकृतिक प्रदेश में योग का अभ्यास विशेष महत्व रखता है। उन्होंने युवाओं से योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने और स्वस्थ भारत निर्माण में भागीदारी निभाने का आह्वान किया।
योग दिवस के कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य भर में स्वास्थ्य, संतुलन और सामूहिक चेतना का संदेश प्रसारित हुआ। योग के इस उत्सव ने उत्तराखंड को एक बार फिर भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित किया।