भगवान शिव को श्रावण मास अति प्रिय है, आज श्रावण मास कि शिवरात्रि है। शिवभक्त कांवड़ तीर्थ यात्रियों के केसरिया रंग में रंगी धर्मनगरी इन दिनों सिंदूरी आभा बिखेर रही है। धर्मनगरी हरिद्वार के पौराणिक मठ-मंदिरों में भारी भीड़ है, कांवड़ पटरी, हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, कनखल और हाइवे सहित सभी जगहों पर तिल रखने की भी जगह नहीं है। बृहस्पतिवार को कांवड़ मेले का आखिरी दिन था और आज शुक्रवार को शिवालयों में जलाभिषेक किया जा रहा है। इस बार मेले में चार करोड़ चार लाख 40 हजार कांवड़ यात्री पहुंचे हैं।
इन दिनों धर्मनगरी हरिद्वार का नजारा अद्भुत और अलौकिक है। पूरे शहर में शिवभक्त कांवड़ यात्रियों की टोलियां विचरण कर रही हैं। दक्षेश्वर महादेव मंदिर, मनसा देवी मंदिर, चंडीदेवीे मंदिर, नीलेश्वर महादेव मंदिर, बिल्वकेश्वर महादेव आदि मंदिरों में खासी भीड़ है।
सावन की शिवरात्रि का खास महत्व हो जाता है. शिवरात्रि के दिन लोग कांवड़ में जल भरकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। सावन मास में कोई भी भगवान शिव का जलाभिषेक या पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि सावन में साक्षात रूप में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव विराजमान रहते हैं और यही से सृष्टि का संचालन करते हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोबाल बताते हैं कि कांवड़ मेले में अब तक 4 करोड़ 4 लाख, 40 हजार कांवड़ यात्री पहुंचे हैं। श्रावण मास की महाशिवरात्रि को जलाभिषेक बाद श्रद्धालु कांवड़ लेकर अपने गंतव्यों कि ओर रवाना होंगे।
साल दर साल हरिद्वार पहुंचे काँवड़ियों कि संख्या —
2015-1 करोड़ 95 लाख
2016-2 करोड़ 20 लाख
2017-3 करोड़ 70 लाख
2018-3 करोड़ 77 लाख
2019-3 करोड़ 30 लाख
2020-कोरोना के कारण स्थगित
2021-कोरोना के कारण स्थगित
2022-3 करोड़ 79 लाख
2023-4 करोड़ 07 लाख