उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने आगामी उपचुनाव की तारीखें घोषित की हैं। 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी। इस उपचुनाव में लगभग 90,540 मतदाता अपने मत का उपयोग कर प्रत्याशियों का भाग्य तय करेंगे। नामांकन की प्रक्रिया 29 अक्टूबर से शुरू होकर 4 नवंबर तक चलेगी।
शैलारानी रावत के निधन के बाद रिक्त हुई सीट—
केदारनाथ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शैलारानी रावत विधायक थीं। 9 जुलाई को इलाज के दौरान उनके निधन के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी। शैलारानी रावत ने साल 2012 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2016 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और 2022 में पुनः भाजपा के टिकट से विधायक चुनी गई थीं।
भाजपा-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद—
केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है। दोनों ही पार्टियों ने इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। भाजपा ने बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करते हुए हर कार्यकर्ता को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को भी इस चुनाव की निगरानी में लगाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाबा केदारनाथ के प्रति श्रद्धा के कारण भाजपा इस सीट पर विशेष ध्यान दे रही है।
वहीं, कांग्रेस ने भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने का मन बना लिया है। पार्टी ने आपदा प्रभावितों की समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाया है और “केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा” के माध्यम से अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और पर्यवेक्षकों की टीम चुनावी रणनीति पर काम कर रही है।
निर्वाचन व्यवस्था और सुरक्षा—
चुनाव आयोग ने इस उपचुनाव के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए हैं, जिनमें 4 विशेष बूथ शामिल हैं—एक यूथ मैनेज्ड, एक महिला पोलिंग बूथ, एक पीडब्ल्यूडी मैनेज्ड और एक यूनिक पोलिंग बूथ। 10 पोलिंग बूथों को संवेदनशील घोषित किया गया है, जहां अतिरिक्त सुरक्षा और वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी। उपचुनाव के लिए 2 जोनल मजिस्ट्रेट और 27 सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं।
प्रमुख मुद्दे और रणनीति—
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। भाजपा को अपने गढ़ को बचाने का प्रयास करना है, जबकि कांग्रेस एंटी-इनकंबेंसी के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है। कांग्रेस का प्रयास है कि वह प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ जनभावनाओं का फायदा उठाकर सीट पर विजय हासिल करे। केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। 20 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद 23 नवंबर को चुनाव परिणाम स्पष्ट करेंगे कि किस पार्टी ने मतदाताओं का विश्वास जीता है। इस चुनाव के परिणाम न केवल केदारनाथ क्षेत्र बल्कि पूरे उत्तराखंड की राजनीति पर गहरा असर डाल सकते हैं।