“देश से बढ़कर कुछ नहीं” — शिखर धवन सहित कई पूर्व खिलाड़ियों ने खेलने से किया इनकार, आयोजकों ने माफी मांगी
बर्मिंघम/नई दिल्ली, 20 जुलाई 2025
विश्व चैम्पियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 के तहत आज एडग्बैस्टन (बर्मिंघम) में होने वाला भारत-पाकिस्तान मुकाबला अब नहीं खेला जाएगा। देश की सुरक्षा भावना और हालिया आतंकी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए कई पूर्व भारतीय क्रिकेटरों ने इस मुकाबले से नाम वापस ले लिया, जिसके बाद आयोजकों ने मैच रद्द करने का फैसला लिया है।
क्या है मामला?
आज भारत-पाकिस्तान के बीच लीजेंड्स क्रिकेट मैच होना था, जिसमें दोनों देशों के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी शामिल थे। लेकिन जैसे ही कार्यक्रम की तारीख नज़दीक आई, शिखर धवन, हरभजन सिंह, इरफान पठान, यूसुफ पठान सहित अन्य खिलाड़ियों ने मैच से दूरी बना ली।
इन खिलाड़ियों ने अपने निर्णय में यह साफ कहा कि देश की गरिमा से बढ़कर कोई खेल नहीं हो सकता।
EaseMyTrip सहित प्रायोजकों ने भी किया बहिष्कार
मैच के रद्द होने के पीछे एक बड़ा कारण आयोजकों को मिला जब EaseMyTrip जैसे प्रमुख प्रायोजकों ने पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच का समर्थन करने से इनकार कर दिया। कंपनी ने साफ शब्दों में कहा कि वे किसी भी ऐसे आयोजन का हिस्सा नहीं बन सकते जिसमें पाकिस्तान शामिल हो, खासकर जब देश में आतंकी घटनाएं हो रही हों।
आयोजकों ने मांगी माफी
WCL आयोजकों ने बयान जारी करते हुए कहा —
“हमारा इरादा खेल भावना को बढ़ावा देना था, लेकिन यदि इस आयोजन से भारतीय भावनाएं आहत हुई हैं, तो हम माफी चाहते हैं।”
मैच के लिए टिकट बुक कराने वाले दर्शकों को आयोजकों द्वारा पूरा रिफंड देने की घोषणा भी की गई है।
पृष्ठभूमि: देश में बढ़ा तनाव
हाल ही में पहाड़ी क्षेत्रों और जम्मू-कश्मीर में हुई आतंकी घटनाओं के बाद राष्ट्रवाद की भावना फिर एक बार तेज़ हो गई है। ऐसे में भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी स्तर पर ‘मैत्रीपूर्ण’ मैच कराना लोगों की भावनाओं को आहत करने जैसा देखा गया।
सोशल मीडिया पर जनता की प्रतिक्रिया
मैच के रद्द होने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने खिलाड़ियों और प्रायोजकों के इस निर्णय की सराहना की। कई यूज़र्स ने लिखा —
“देश पहले, क्रिकेट बाद में।”
वहीं कुछ ने आयोजकों पर सवाल उठाए कि “ऐसे मैच की योजना ही क्यों बनाई गई?”
भारत-पाक के बीच क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं बल्कि एक भावनात्मक विषय है। इस बार खिलाड़ियों, प्रायोजकों और आम जनता ने एक सुर में कहा —
“राष्ट्र सर्वोपरि है।”