ऋषिकेश एम्स में 2.73 करोड़ का घोटाला, पूर्व निदेशक समेत तीन पर CBI का शिकंजा

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ऋषिकेश एम्स में 2.73 करोड़ का घोटाला, पूर्व निदेशक समेत तीन पर CBI का शिकंजा

ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) एक बार फिर बड़े घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। एम्स में 16 बेड वाली कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) की स्थापना पर 8 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए, लेकिन यह यूनिट आज तक शुरू ही नहीं हो पाई। अब इस पूरे मामले में सीबीआई ने पूर्व निदेशक समेत तीन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर जांच तेज कर दी है।

क्या है पूरा मामला?

दिसंबर 2017 में कार्डियोलॉजी विभाग के लिए सीसीयू निर्माण का टेंडर दिल्ली की कंपनी मैसर्स प्रो मेडिक डिवाइसेस को दिया गया था। 2019-20 के बीच कंपनी को करीब 8.08 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसके बाद भी सीसीयू न तो तैयार हो सका और न ही मरीजों के लिए काम में आ पाया।

सीबीआई की प्राथमिक जांच में सामने आया कि सीसीयू निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं। दरवाजे, पर्दे, मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम, डिफिब्रिलेटर, एयर प्यूरीफायर समेत 1.76 करोड़ रुपये के उपकरणों की सप्लाई कागजों में दिखाई गई लेकिन मौके पर ये मौजूद ही नहीं थे।

निर्माण कार्यों में भी हेरफेर

  • दीवार पैनलिंग: बिल में 362 वर्ग मीटर दिखाए गए, जबकि मौके पर केवल 224.71 वर्ग मीटर मिले।

  • सीलिंग: बिल में 271 वर्ग मीटर दर्ज, जबकि मौके पर 259 वर्ग मीटर पाए गए।

इस गड़बड़ी से करीब 97 लाख रुपये का सीधा नुकसान सामने आया।

जांच में चौंकाने वाले खुलासे

सीबीआई टीम ने मार्च 2025 में औचक निरीक्षण किया। जब सीसीयू का दरवाजा खोला गया तो अंदर निर्माण अधूरा मिला।

  • फर्श टूटा हुआ था,

  • उपकरण बेतरतीब पड़े थे,

  • पर्दे और ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर नहीं थे,

  • और सबसे गंभीर, दिल के मरीजों के लिए जरूरी डिफिब्रिलेटर मशीन ही मौजूद नहीं थी।

इतना ही नहीं, टेंडर और भुगतान से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलें भी रिकॉर्ड से गायब कर दी गईं।

किन पर दर्ज हुआ केस?

सीबीआई ने एम्स ऋषिकेश के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, एडिशनल प्रोफेसर डॉ. राजेश पसरीचा और स्टोर कीपर रूप सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है। इसके अलावा कुछ अज्ञात अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।

आगे की कार्रवाई

सीबीआई का कहना है कि मामले में और नामों के सामने आने की संभावना है। फिलहाल तीन अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई जा रही है।


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