उत्तराखंड में लंपी वायरस का बढ़ता प्रकोप, सरकार की चिंता बढ़ी, प्रशासन ने उठाए कड़े कदम उठाए

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उत्तराखंड में लंपी वायरस से होने वाली मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है,पशुओं में लंपी त्वचा रोग के बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कुमाऊं क्षेत्र में इसका ज्यादा प्रकोप है। लंपी वायरस का ज्यादा प्रकोप बागेश्वर जिले में देखा जा रहा है, जहाँ 800 से ज्यादा मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आ चुके हैं। जिले में लंपी वायरस से निपटने के लिए पशुपालन विभाग ने सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों, पशुधन प्रसार अधिकारियों, वैक्सिनेटरों और अनुसेवकों का अवकाश निरस्त कर दिया है। विभाग को 35 हजार डोज वैक्सीन मिली हैं। लंपी वायरस की चपेट में आए जानवरों का इलाज कर उन्हें टीका लगाने के लिए 11 रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया है जिससे पशुपालकों में राहत है।

इन दिनों उत्तराखंड के मैदानी जिलों के साथ ही कुछ पर्वतीय जिलों में पॉक्स वायरस से फैलने वाली बीमारी लंपी स्किन डिजीज से मवेशी प्रभावित हो रहे हैं। इस बीमारी की चपेट में आने से अधिकतर गोवंशीय और महिष वंशीय पशु प्रभावित होते हैं। मवेशियों में लंपी वायरस न फैले, इसके लिए प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है।बागेश्वर जिले में 800 से ज्यादा मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आ चुके हैं। पशुपालन विभाग की टीम इन मवेशियों का इलाज कर रही है. करीब 300 से अधिक मवेशी ठीक हो चुके हैं। लंपी वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप कुमाऊं रीजन में देखने को मिला है। जिसे देखते हुए सरकार अब नियंत्रण के प्रयासों में जुट गई है। राज्य में गो व महिष वंशीय पशुओं के परिवहन, प्रदर्शनी पर एक माह के लिए रोक लगा दी गई है।

पशुपालन विभाग के कर्मियों की छुट्टियां रद्द करने के साथ ही पशु चिकित्सकों की नई प्रतिनियुक्ति पर भी रोक लगाई गई है। पशु टीकाकरण पूर्ण करने को 15 दिन की अवधि तय की गई है। साथ ही सभी जिलों के लिए मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) जारी की गई है। पशुओं के टीकाकरण और स्थिति पर नजर रखने को जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है।

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि राज्य में पशुओं में लंपी त्वचा रोग के बढ़ते मामलों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। पशुओं का टीकाकरण तेजी से चल रहा है। पशुपालकों की सुविधा को टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। गोवंशीय पशुओं में मुख्य रूप से फैलने वाले इस रोग के प्रसार में मक्खी, मच्छर संवाहक बनते हैं। ऐसे में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। पशुपालन मंत्री ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि लंपी रोग के फैलाव से दुग्ध उत्पादन पर असर पडऩा स्वाभाविक है। इसे देखते हुए दुग्ध फेडरेशन से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है। मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पशु टीकाकरण में जुटी टीमें पशुपालकों को पशुओं का बीमा कराने को भी प्रेरित कर रही हैं। पशु बीमा के प्रीमियम में पर्वतीय क्षेत्र में 75 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्र में 60 प्रतिशत राशि सरकार वहन करती है।


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