विधानसभा सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित, विपक्ष ने साधा निशाना, लगाया मुद्दों से भागने का आरोप

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विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। सात दिन का विधानसभा सत्र महज दो दिनों में ही समाप्त हो गया है। इतनी जल्दी विधानसभा सत्र निपटाने को लेकर विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नीयत पर सवाल उठाये हैं। विपक्ष ने जहां इसे मुद्दों से भागने और मैदान छोड़ने का आरोप लगाया तो वहीं सत्ता पक्ष इसे समय का बेहतर उपयोग करना और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कहा गया गया है कि जो बिजनेस आया दो दिन में पूरा किया, बिना बिजनेस के सत्र चलाना बेमानी और करदाताओं के पैसे की बर्बादी है।

गौरतलब है कि विधानसभा सत्र का संचालन सोमवार पांच दिसंबर तक तय किया गया था जिसे बाद में सिर्फ दो दिन में ही निपटा दिया गया है। सदन में विपक्ष को इसका विरोध करने का मौका तक नही मिला जिस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इसे सरकार का समय से पहले मैदान छोड़ना बताया है, उन्होंने कहा कि माहरा ने कहा कि उत्तराखंड की कार्य संचालन समिति ने सत्र चलाने के लिए एक वर्ष में कम से कम 60 दिन निर्धारित की थी, लेकिन इसे राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि किसी भी वित्तीय वर्ष में 15 से 18 दिन सत्र बमुश्किल चल पाता है। उन्होंने कहा कि 70 विधानसभाओं की अपनी-अपनी दिक्कतें और परेशानियां हैं। इतनी अल्प अवधि का यदि सत्र चलेगा तो आम जनता की समस्याओं का निवारण किस तरह से हो पाएगा।
माहरा ने धामी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि प्रचंड बहुमत और डबल इंजन की सरकार के बावजूद विपक्ष के सवालों से धामी सरकार इतना घबराई हुई है कि पिछले पांच साल के कार्यकाल में सोमवार को कभी सत्र आहूत नहीं किया गया। इस दिन मुख्यमंत्री के अधीन जितने विभाग हैं, उन पर प्रश्न लगे होते हैं, जबकि सबसे अधिक विभाग मुख्यमंत्री के पास ही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रचंड बहुमत की सरकार के मुखिया होने के बावजूद भी इतना आत्मविश्वास खुद के अंदर नहीं पाते हैं कि वह सवालों का सामना कर पाएं।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सत्र केवल दो दिन में ही खत्म करने से सरकार की नीयत साफ हो गईं है। वो जनता के मुद्दों पर चर्चा करने से बच रही है। विपक्ष के सवालों का सत्ता पक्ष के पास कोई जवाब नही है।
 
वहीं सत्र समाप्ति के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत में कहा कि शीतकालीन सत्र के लिए सरकार से जो बिजनेस आया उसे दो दिन में पूरा किया गया। इसके चलते सत्र आगे नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि सत्र के लिए ज्यादा समय होना चाहिए ये बात सही है, लेकिन सत्र और सदन करदाताओं के पैसे से चलता है। जब कोई बिजनेस नहीं होगा तो मेरे लिए सत्र चलाना बेईमानी होगा। किसी का राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। उसके लिए सत्र सात या 10 दिन चलाया जाए। यह करदाताओं के साथ खिलवाड़ होगा।
 
सत्ता पक्ष ने तर्क दिया कि समय का बेहतर उपयोग करते हुए समय पर सभी काम पूरे कर लिए गए हैं। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा है कि कार्यमंत्रणा समिति में जो एजेंडा तय हुआ, उसके अनुरूप ही सदन की कार्यवाही संपन्न हुई है। 

बता दें कि महिलाओं को राजकीय सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और राज्य में जबरन धर्मांतरण पर सख्ती से अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक समेत कुल 14 बिल बिना किसी चर्चा के करीब सवा घंटे में पास हो गए। जबकि दो विधेयक वापस लौट गए। महिला क्षैतिज आरक्षण वाले विधेयक पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने समर्थन किया। समूचे सदन ने सर्वसम्मति से विधेयक को मंजूरी दी।

विधेयक जो पारित हुए- 
1 – उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिक आरक्षण) विधेयक।
2 – उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक।
3 – उत्तराखंड विनियोग (2022-23 का अनुपूरक) विधेयक।
4 – बंगाल, आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन और अनुपूरक अनुबंध) विधेयक।
5 – उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) संशोधन विधेयक।
6 – पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक।
7 – भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक।
8 – उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक।
9 – उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध संशोधन विधेयक।
10 – उत्तराखंड जिला योजना समिति संशोधन विधेयक।
11 – पंचायती राज संशोधन विधेयक।
12 – हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक।
13 – उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन व विकास संशोधन विधेयक।
14 – उत्तराखंड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) संशोधन विधेयक।
विधेयक जो वापस  हुए-
1 – उत्तराखंड पंचायतीराज द्वितीय संशोधन विधेयक।
2 – कारखाना उत्तराखंड संशोधन विधेयक।

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