New Delhi: भ्रामक प्रचार मामले में कोर्ट की अवमानना झेल रहे योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने विभिन्न बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में अखबारों में सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने की पेशकश की।
योग गुरु बाबा रामदेव और बालकृष्ण न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष पेश हुए। जस्टिस कोहली ने रामदेव से कहा कि अदालत योग को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा किए गए काम का सम्मान करती है लेकिन दवा व्यवसाय व्यावसायिक है और अपने उत्पादों को बेचने के लिए वे आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की प्रभावशीलता को कम कर रहे हैं और उस पर सवाल उठा रहे हैं। बेंच ने रामदेव से कहा कि उन्होंने नवंबर 2023 में अदालत द्वारा एक आदेश पारित करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अदालत के आदेश का उल्लंघन किया था। बेंच ने कहा कि हम पिछले आदेशों पर भी विचार कर रहे हैं। आप इतने भोले नहीं हैं कि आपको नहीं पता कि कोर्ट में क्या हो रहा है।
रामदेव और बालकृष्ण का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे सार्वजनिक माफी जारी करेंगे। रामदेव ने कहा, ‘हम बिना शर्त और पूरे मन से माफी मांग रहे हैं, उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाना या अवमानना करना या अदालत के आदेशों का उल्लंघन करना नहीं था। उन्होंने जोर देकर कहा कि वास्तव में उनके पास साक्ष्य-आधारित सबूत हैं और वे नैदानिक साक्ष्य के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन उन्हें यह सब नहीं कहना चाहिए था। रामदेव ने कहा कि उन्होंने आयुर्वेद और एलोपैथी की तुलना उत्साह में कर दी और इसे दोहराया नहीं जाएगा। आचार्य बालकृष्ण मे भी रामदेव की बाता में हामी भरी। बाबा रामदेव ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे कि इसकी पुनरावृत्ति न हो।
उधर रामदेव के माफीनामे पर बेंच ने कहा कि जजों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि उनकी माफी स्वीकार की जाये या नहीं। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को तय की है।