7 जून को भाजपा संसदीय दल की बैठक होगी, इसके बाद एनडीए की बैठक में नरेंद्र मोदी को एनडीए संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल फॉर्मूला फाइनल करने के लिए बीजेपी ने सहयोगी दलों से बातचीत शुरू कर दी है। इसकी जिम्मेदारी अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा को दी गई है। ये उम्मीद की जा रही है एनडीए संसदीय दल की बैठक से पहले मंत्रिमंडल का फॉर्मूला तय हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं है। मनमाफिक चुनाव परिणामों से दूर रहने के और गठबंधन के दो अन्य बड़े घटक दल तेदेपा और जदयू की दबाव की राजनीति के बीच जाहिर है कि भाजपा को अपने अलावा करीब एक दर्जन से भी अधिक दलों को प्रतिनिधित्व देना पड़ सकता है।
विभिन्न मीडिया श्रोतों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस बार कैबिनेट में भाजपा के अलावा करीब एक दर्जन से भी अधिक दलों को प्रतिनिधित्व देना पड़ सकता है, हालांकि नरेंद्र मोदी की पिछली सरकारों में भी एनडीए सहयोगियों को तरजीह दी गयी थी लेकिन तब मंत्रियों की संख्या करीब करीब पांच तक ही रही थी। लेकिन स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण ये माना जा रहा है कि पार्टी को इस बार गठबंधन के साथियों की शर्त मानने पर मजबूर होगी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में इस बार एनडीए गठबंधन को 293 सीटों में जीत मिली है। ख़बरों के अनुसार मोदी कैबिनेट में इस बार जेडीयू और टीडीपी के सांसदों को भी जगह मिलने वाली है जिनके क्रमशः 12 और 16 संसद हैं। कयास हैं कि नयी गठित होने वाली एनडीए सरकार में मंत्रियों की संख्या 16 से 20 के बीच हो सकती है। ऐसे में टीडीपी को चार और जेडीयू को तीन मंत्री मिल सकते हैं।
जहाँ शिवसेना (शिंदे) गठबंधन में चौथा बड़ा दल है जिसके 7 सांसद हैं उसे भी एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री पद दिया जा सकता है वहीँ चिराग पासवान की एलजेसी के पास 5 सीटें है तो उसे भी एक कैबिनेट व राज्य मंत्री पद देना होगा। इसके अतिरिक्त जन सेवा, आरएलडी, जेडीएस दल भी एक कैबिनेट और एक मंत्री पद की मांग करेंगे तो वहीँ बिहार से जीतन राम मांझी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।
गौर हो कि छह दल एनसीपी (अजित), एजीपी, एसकेएम्, एजेएसयू , यूपीपीएल, तथा अपना दल की भी एक-एक सीटें हैं और ये दाल भी निश्चित ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान पाने के इच्छुक होंगे।