देहरादून/ उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीते फरवरी माह में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उनके एक बयान को लेकर लगातार विरोध हो रहा था। पहाड़ी समुदाय के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी के बाद उन्हें तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसके चलते उनके इस्तीफे की मांग तेज होती गई। आखिरकार, 16 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया, जिसे सीएम ने आगे की कार्यवाही के लिए राज्यपाल को भेज दिया है।

इस्तीफे से पहले आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि—
इस्तीफा देने से पहले प्रेमचंद अग्रवाल अपनी पत्नी के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने यमुना कॉलोनी स्थित अपने सरकारी आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे की घोषणा की। इस दौरान वे भावुक हो गए और कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने राज्य निर्माण आंदोलन में अपनी भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि वे खुद भी इस संघर्ष का हिस्सा रहे हैं और अब उन्हें ही अपनी प्रतिबद्धता साबित करनी पड़ रही है।

लगातार हो रहा था विरोध, भाजपा पड़ी असहज—
प्रेमचंद अग्रवाल के विवादास्पद बयान के बाद से ही राज्यभर में जनाक्रोश देखने को मिला। जनता और विपक्ष के दबाव के चलते भाजपा सरकार भी असहज स्थिति में थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अग्रवाल को स्पष्टीकरण के लिए मुख्यालय बुलाया था। हालांकि, उस दौरान उन्हें मंत्रिमंडल में बने रहने का संकेत मिला था, जब केंद्र सरकार ने उन्हें मंत्री समूह (जीओएम) का सदस्य नामित किया था। लेकिन जनता के बढ़ते विरोध और राजनीतिक दबाव के बीच उन्हें अंततः इस्तीफा देना पड़ा।

कांग्रेस ने साधा निशाना, हरीश रावत का बयान—
प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि यह एक व्यक्ति के अहंकार का परिणाम है। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर भी हमला बोलते हुए कहा कि उनके अहंकारी बयान को उत्तराखंड की जनता कभी माफ नहीं करेगी। कांग्रेस नेताओं ने इसे जनता की जीत करार दिया और कहा कि भाजपा सरकार को जनता की आवाज सुननी ही पड़ी।

धामी कैबिनेट में बढ़ी एक और रिक्ति—
धामी सरकार में पहले से ही चार मंत्री पद रिक्त चल रहे थे। अब प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में एक और कुर्सी खाली हो गई है। इससे मंत्रिमंडल के पुनर्गठन और फेरबदल की चर्चाओं को और बल मिल गया है।
प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर—
- 2007: पहली बार विधायक बने।
- 2012: दूसरी बार विधायक बने।
- 2017: तीसरी बार विधायक, विधानसभा अध्यक्ष बने।
- 2022: चौथी बार विधायक बने और कैबिनेट मंत्री नियुक्त किए गए।
- 2025: विवादास्पद बयान के चलते मंत्री पद से इस्तीफा।
प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा उत्तराखंड की सियासत में बड़े बदलाव के संकेत दे रहा है। अब देखना होगा कि भाजपा सरकार मंत्रिमंडल में रिक्त पदों को भरने के लिए क्या रणनीति अपनाती है और इस घटनाक्रम का आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ता है।