उत्तराखंड में इस वर्ष निकाय चुनाव होने मुश्किल होंगे, दो दिसंबर को निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार निकायों को प्रशासकों के हवाले करेगी। ख़बरों के मुताबिक तय समय पर चुनाव न होने का मुख्य कारण चुनाव से पूर्व की तैयारियां आधी-अधूरी होना बताया जा रहा है। हालांकि, सरकार का तर्क है कि अभी सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर निकाय चुनाव की तैयारी की जा रही है।
उत्तराखंड में समय पर निकाय चुनावों को लेकर चल रही कशमकश आखिर खत्म हो गयी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने निकायों की निर्वाचक नामावलियों के विस्तृत पुनरीक्षण के लिए दो नवंबर से दो फरवरी, 2024 तक तीन माह की समय सारिणी जारी कर दी है। जिससे साफ है कि अब निकाय चुनाव 2024 में ही कराए जाएंगे। प्रदेश में पिछले निकाय चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे।हालांकि आयोग के अधिकारियों का कहना है कि ओबीसी सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। माना जा रहा कि जनसुनवाई और बचे हुए निकायों की रिपोर्ट आने के बाद आयोग को कम से कम एक से डेढ़ माह का समय अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करने में लगेगा। ऐसे में दिसंबर से पहले रिपोर्ट आने के आसार कम नजर आ रहे हैं। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन दो फरवरी 2024 को किया जाएगा।राज्य में वर्तमान में नगर निकायों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है। इनमें सात निकाय कुछ समय पहले ही अधिसूचित हुए हैं। ऐसे में अन्य निकायों के साथ इनके चुनाव कराना संभव नहीं है। शेष 103 निकायों में से केदारनाथ, बद्रीनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होते। रुड़की नगर निगम व बाजपुर नगर पालिका परिषद में चुनाव बाद में होने के कारण इनका कार्यकाल अगले वर्ष पूर्ण होना है। जिससे साफ़ है कि 97 निकायों में चुनाव होंगे।