सीएम धामी ने दिल्ली दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, राज्य की कई परियोजनाओं को लेकर की बातचीत

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। इस दौरान धामी ने उन्हें तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का  दायित्व संभालने पर शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर सीएम ने प्रधानमंत्री को महासू देवता मंदिर की प्रतिकृति, बद्रीनाथ धाम की प्रसाद सामग्री एवं शॉल भेंट की। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री धामी ने राज्य की कई परियोजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत भी की।

चित्र साभार – सोशल मीडिया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि मानसखंड मंदिर माला मिशन के लिए 1000 करोड़ रुपये की वृतीय स्वीकृति प्रदान की जाए तो वहीँ उन्होंने जौनसार बावर क्षेत्र में स्थित महासू देवता मंदिर क्षेत्र को मास्टर प्लान के तहत विकसित करने के लिए पीएम मोदी से चर्चा की। सीएम ने बताया कि वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री से राज्य की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों एवं सामरिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अधिसूचित नियम 2017 की व्यवस्था को यथावत रखने का अनुरोध किया है।

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इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री से इंटीग्रेट मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर खुरपिया के अनुमोदन, देहरादून-मसूरी रेल लाइन परियोजना की स्वीकृति, प्रस्तावित ज्योलिकांग -वेदांग 05 किमी, सीपू-तोला 22 किमी. और मिलम- लैपथल 30 किमी टनल परियोजनाओं की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति का अनुरोध भी किया।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अलकनंदा, भागीरथी और सहायक नदियों में प्रस्तावित 24 जल विद्युत परियोजनाओं के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति-2 की अंतिम रिपोर्ट पर जल शक्ति मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के साथ पुन समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है। पीएम मोदी से यह भी अनुरोध किया गया है कि उत्तराखंड की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत राज्य में भारत सरकार और उनकी एजेंसियों द्वारा सड़क निर्माण परियोजना को सुचारू रूप से क्रियान्वित किये जाने के लिए क्षतिपूरक वृक्षारोपण हेतु उपयुक्त भूमि के चयन में कठिनाई हो रही है, क्योंकि वर्तमान में प्रचलित वन संरक्षण एवं सवंर्धन नियम और गाइडलाइन 2023 के अनुसार उपरोक्त प्रयोजन हेतु केवल गैर वन भूमि को आधार बनाया गया है, जिसमें समतुल्य गैर वन भूमि में क्षतिपूरक वृक्षारोपण किया जा सकता है। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि राजस्व विभाग के अभिलेख में दर्ज वन भूमि वन विभाग के नियत्रंण में नहीं है।


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