देहरादून के चमन विहार में मंगलवार सुबह कांग्रेस नेता और प्रॉपर्टी डीलर राजीव जैन के घर आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की। करीब 18 गाड़ियों के काफिले के साथ सीआईएसएफ के हथियारबंद दस्ते की सुरक्षा में जांच टीमों ने एक साथ राजीव जैन और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की।
जानकारी के मुताबिक, यह कार्रवाई मंगलवार सुबह करीब 4 बजे से शुरू हुई और राजीव जैन के घर समेत उनके भाई, बहन और अन्य रिश्तेदारों के पांच-छह घरों को जांच के घेरे में लिया गया। इसके अलावा, डालनवाला क्षेत्र में बिल्डर मानस लुंबा के आवास और कार्यालय पर भी छापा मारा गया।
छापे के दौरान फेंका गया बैग—
जांच के दौरान एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जब राजीव जैन ने आयकर विभाग के अधिकारियों से बचने के लिए एक भरा हुआ बैग पड़ोसी की छत पर फेंक दिया। इस घटना का खुलासा घर में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच में हुआ। अधिकारियों ने तुरंत बैग को पड़ोसी की छत से कब्जे में ले लिया।
संपत्ति और दस्तावेज बरामद—
अधिकारियों ने अब तक की कार्रवाई में बड़ी मात्रा में नकदी, आभूषण और करोड़ों की जमीन से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं। हालांकि, इन बरामद सामग्रियों की आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। बताया जा रहा है कि राजीव जैन और मानस लुंबा ने बड़े पैमाने पर प्रॉपर्टी में निवेश किया है और उनका कारोबार उत्तराखंड के बाहर भी फैला हुआ है।
दिल्ली तक फैली छापेमारी—
ईडी की टीम ने देहरादून के अलावा दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भी राजीव जैन और मानस लुंबा के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। देहरादून में ऋषभ विहार स्थित राजीव जैन के घर, उनकी बहन के माजरा स्थित शोरूम और अन्य ठिकानों पर जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि ईडी की टीम दो ट्रॉली बैग राजीव जैन के घर से अंदर ले गई और पड़ोस से भी एक बड़ा थैला बरामद किया गया।
हरीश रावत के करीबी रहे हैं राजीव जैन—
राजीव जैन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी माने जाते हैं। यह पहली बार नहीं है जब राजीव जैन जांच एजेंसियों के रडार पर आए हैं। इससे पहले भी, वर्ष 2017-18 में इनकम टैक्स विभाग ने उनके ठिकानों पर छापा मारा था।
आगे की जांच जारी—
सूत्रों के अनुसार, राजीव जैन पर धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला भी बन सकता है। ईडी और आयकर विभाग की टीमें दस्तावेजों की गहन जांच में जुटी हुई हैं और आगे की कार्रवाई की तैयारी कर रही हैं। छापेमारी को पूरी तरह अति गोपनीय रखते हुए अधिकारियों ने सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के जवानों को तैनात किया था।
यह मामला राज्य में बड़े प्रॉपर्टी कारोबारियों की संदिग्ध वित्तीय लेनदेन को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है। जांच एजेंसियों की कार्रवाई जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में बड़ी जानकारी सामने आने की संभावना है।