डेंगू का दून में कहर,अस्पतालों में नहीं पैर रखने की जगह।

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ओम जोशी -देहरादून 

प्रदेश में डेंगू के मरीजों की लगातार बढ़ती सँख्या चिंता का विषय बनती जा रही है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग के दावे धरातल पर धराशाही साबित होते दिखाई दे रहे हैं।  डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या पर लगाम  नहीं कसी जा सकी है, अभी तक डेंगु के मरीजों की संख्या 600 के पार पहुंच चुकी है। वही विभाग डेंगू से हुई 6 मौतों की बात मान रहा है। स्वास्थ्य महकमा हर वर्ष डेंगू से निपटने के दावे तो करता है लेकिन समय आने पर उनकी तैयारियों कागजी ही साबित हुई हैं।

 जिस रफ़्तार से डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है और मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं उसके हिसाब से सरकारी अस्पताल के संसाधन पर्यायत नहीं हैं। उधर निजी अस्पताल अपने मरीजों की जानकारी नहीं दे रहे हैं।  जिससे की आंकड़ों की सच्ची तस्वीर बयां नहीं हो पाती जबकि स्वस्थ्य विभाग में प्रावधान है की सरकारी या निजी अस्पताल दोनों ही डेंगू मरीजों की भर्ती की जानकारी तत्काल विभाग को मुहैया करवाएंगे। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं।
देहरादून और आस पास के क्षेत्रों में ज्यादा प्रकोप बढ़ने से नजदीकी दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में मरीजों की स्थिति विष्फोटक हो चुकी है और अस्पतालों के काबू से बाहर हैं। डेंगू,वायरल बुखार और अन्य मौसमी बीमारियोँ के चलते राजधानी के सभी सरकारी अस्पताल भरे पड़े हैं वार्डों के आलावा एमरजेंसी  वार्ड भी फुल है जिससे नए मरीजों को भर्ती करने में दिक्कतें खड़ी हो गयी है।  लोग निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हो गएँ हैं। हालाँकि निगम भी अपनी और से जागरूकता अभियान और डेंगू से प्रभवित क्षेत्रों में फोगिंग करवा रहा है और अब इसके बढ़ते प्रकोप के कारण सख्ताई भी बरतने लगा है और डेंगू मच्छर के लार्वा मिलने पर जुर्माने के रूप में 100 से 200 रुपये तक का चालान काट रहा है।  मगर लगता नहीं की इससे जल्द छुटकारा मिल पायेगा।
दरअसल विगत 6 वर्षों से इसी दौरान डेंगू का कहर टूटता है पिछले वर्षों में कई लोग डेंगू का शिकार हो चुके हैं। डेंगू के नाम पर कई व्यापक अभियान चलाये जा रहे हैं मगर कोई ज्यादा फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है जरुरत इस बात की है की अधिकारियों की जिमीदारियाँ तय की जाएँ।  राजधानी देहरादून और इससे सटे कई इलाके इसकी चपेट में हैं। सरकार अगर जल्द ही  इस मर्ज को गंभीरता से नहीं लेती तो आने वाले समय में डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारिया और भयानक रूप धारण कर सकती हैं।

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