माणा कैंप के पास ग्लेशियर टूटा, 57 मजदूर बर्फ में दबे, रेस्क्यू जारी, चमोली 2021आपदा त्रासदी की यादें ताजा

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उत्तराखंड और प्राकृतिक त्रासदी का हमेशा से साथ रहा है ऐसी ही एक त्रासदी से आज फिर राज्य का सामना हुआ है, खबर है कि उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार हो रही बर्फबारी के बीच शुक्रवार को भारत-चीन (तिब्बत) सीमा क्षेत्र में माणा कैंप के पास भारी हिमस्खलन हुआ। इस दौरान वहां निर्माण कार्य में लगे 57 मजदूर बर्फ में दब गए। प्रशासन और बचाव दलों की तत्परता से अब तक 16 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि तीन मजदूरों को गंभीर हालत में सेना अस्पताल भेजा गया है। अन्य मजदूरों की तलाश के लिए बचाव अभियान लगातार जारी है।

(SOURCE COURTESY – DIGITAL MEDIA)

घटना का विवरण—

चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि माणा और माणा पास के बीच हिमस्खलन होने से मजदूरों के दबने की सूचना है। इस क्षेत्र में मौसम बेहद खराब होने के चलते संचार सेवाएं ठप पड़ी हैं, जिससे राहत कार्यों में कठिनाइयां आ रही हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि मजदूर माणा से माणा-पास तक 50 किलोमीटर के क्षेत्र में हाइवे चौड़ीकरण और डामरीकरण के कार्य में लगी कंपनी के अंतर्गत काम कर रहे थे। यह कार्य ईपीसी कंपनी के माध्यम से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा संचालित किया जा रहा है।

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रेस्क्यू अभियान में जुटी टीमें—

आईटीबीपी, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। हालांकि, भारी बर्फबारी और प्रतिकूल मौसम के कारण बचाव दलों को घटनास्थल तक पहुंचने में बाधाएं आ रही हैं। हनुमान चट्टी से आगे हाईवे पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे राहत दलों को वहां तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है। पुलिस मुख्यालय की ओर से आईजी निलेश आनंद भरणे ने बताया कि घटनास्थल की ओर तीन से चार एंबुलेंस भी रवाना की गई हैं।

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मुख्यमंत्री ने जताया दुख—

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। वह देहरादून में आपदा परिचालन केंद्र पहुंचे और उन्होंने आपदा परिचालन केंद्र से जनपद चमोली के माणा गांव के निकट हिमस्खलन घटना की जानकारी ली। वह अधिकारियों के साथ स्थिति की गहन समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “जनपद चमोली में माणा गांव के निकट बीआरओ द्वारा संचालित निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन की वजह से कई मजदूरों के दबने का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। आईटीबीपी, बीआरओ और अन्य बचाव दलों द्वारा राहत एवं बचाव कार्य संचालित किया जा रहा है। भगवान बदरी विशाल से सभी श्रमिक भाइयों के सुरक्षित होने की प्रार्थना करता हूं।” उन्होंने प्रशासन को हरसंभव सहायता प्रदान करने के निर्देश भी दिए हैं। 

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पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बर्फबारी—

पिछले दो दिनों से उत्तराखंड के कई हिस्सों में बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हो रही है। इस कारण कई जगहों पर सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में परेशानी आ रही है। चमोली प्रशासन ने मौसम को देखते हुए आईआरएस से जुड़े अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने हेलीकॉप्टर और अन्य संसाधनों की मदद से राहत सामग्री और बचाव दलों को घटनास्थल तक पहुंचाने के प्रयास किए, लेकिन प्रतिकूल मौसम के कारण हेलीकॉप्टर सेवाएं अभी तक प्रभावी रूप से संचालित नहीं हो पाई हैं।

चार साल पहले भी हुआ था बड़ा हादसा—

इस हिमस्खलन ने 2021 में चमोली जिले में हुई एक अन्य त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं, जब नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से भीषण आपदा आई थी। उस घटना में ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आ गई थी, जिससे करीब 206 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग आज भी लापता हैं।

उत्तराखंड में हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला लगातार जारी है। हर साल बर्फबारी, भूस्खलन और ग्लेशियर टूटने की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे जान-माल की क्षति होती है। इस घटना से फिर साबित होता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण कार्य के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीकों और सतर्कता की आवश्यकता है। सरकार और प्रशासन द्वारा जारी राहत एवं बचाव कार्यों से उम्मीद है कि शेष मजदूरों को भी जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जा सकेगा।

 


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