महाकुंभ में भव्य शाही स्नान: तेरह अखाड़ों ने हर-हर महादेव के जयकारों के साथ संगम तट पर की जलाभिषेक, महाकुंभ के साथ मकर संक्रांति ने बढ़ाई काशी और प्रयागराज की रौनक

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प्रयागराज। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर धर्म, आस्था, और श्रद्धा का भव्य संगम देखने को मिला। कुंभ नगरी प्रयागराज और देवों की नगरी काशी में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। संगम और गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। ठंड के बावजूद आस्था ने हर बाधा को पीछे छोड़ दिया।

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महाकुंभ में अमृत स्नान का उल्लास—

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महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज मकर संक्रांति के अवसर पर भव्यता से संपन्न हुआ। सुबह 6:15 बजे से अखाड़ों के संत और साधु हर-हर महादेव और हर-हर गंगे के उद्घोष के साथ संगम तट पर पहुंचे।

अब तक पांच अखाड़ों ने शाही स्नान किया, जबकि अन्य अखाड़ों का स्नान क्रम जारी है। दोपहर 12 बजे तक लगभग 1 करोड़ 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित किया।

काशी में श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह—

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महाकुंभ में स्नान के बाद श्रद्धालु काशी की ओर रुख कर रहे हैं। पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के एक दिन के अंतर पर पड़ने के कारण बुधवार से काशी में श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह शुरू हो गया।

बाबा विश्वनाथ धाम, कालभैरव मंदिर, और अन्य देवालयों में श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर रहे हैं। अनुमान है कि महाकुंभ के दौरान 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु काशी पहुंचेंगे।

प्रयागराज में प्रशासनिक तैयारियां—

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महाकुंभ के दौरान संगम क्षेत्र और गंगा घाटों पर सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए गए। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि 12 किमी के दायरे में सभी घाटों पर पर्याप्त व्यवस्था है।

संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर पर आज दर्शन नहीं हो सके। श्रद्धालुओं की वापसी के लिए रेलवे और रोडवेज ने विशेष प्रबंध किए हैं। 344 विशेष ट्रेनें और 500 अतिरिक्त बसें चलाई जा रही हैं।

काशी में विशेष व्यवस्थाएं—

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काशी में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए मठ-मंदिरों में मुकम्मल व्यवस्थाएं की गई हैं। बाबा विश्वनाथ मंदिर में वीआईपी दर्शन के लिए प्रशासन ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

कालभैरव मंदिर के प्रधान पुजारी मोहित महाराज ने बताया कि कतारबद्ध दर्शन की व्यवस्था की गई है। शीतला मंदिर, विशालाक्षी मंदिर, मंगला गौरी, और गौरी केदारेश्वर मंदिर में भी विशेष इंतजाम किए गए हैं।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व—

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मकर संक्रांति सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश और दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक है। इसे ‘तिल संक्रांति’ भी कहा जाता है।

इस दिन गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान, तिल-गुड़ का सेवन और दान विशेष पुण्यदायी माना गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार महापुण्यकाल सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक रहा।

आस्था का महासागर—

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प्रयागराज और काशी दोनों स्थानों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है।

मकर संक्रांति के अलावा महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या (29 जनवरी) और बसंत पंचमी (3 फरवरी) पर भी भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इन दिनों संगम और गंगा घाटों पर दोगुनी भीड़ होने की उम्मीद है।

आगामी तिथियों पर नजर—

महाशिवरात्रि, एकादशी, और प्रदोष जैसे पर्वों पर भी काशी और प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। प्रशासन और मंदिर प्रबंधन सभी आवश्यक तैयारियों में जुटे हुए हैं।

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संक्रांति का यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक एकता और आस्था का भी प्रतीक है, जो देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं को एक सूत्र में पिरोता है।


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