विधानसभा चुनाव 2022 की रस्सा-कस्सी समाप्त होने के बाद अब पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर शिकंजा और कसने जा रहा है। कर्मकार कल्याण बोर्ड में हुए घपलों की जांच की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। पिछली सरकार के कार्यकाल में हुई प्रारंभिक जांच में भी इस मामले में अनियमितता सामने आई थी। इन घपलों की जांच के लिए एसआईटी से कराई जाएगी। एसआईटी जांच के फैसले से पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जांच की आंच हरक के कई करीबियों पर भी आ सकती है। कर्मकार बोर्ड पिछली सरकार में बतौर श्रम मंत्री हरक सिंह के अधीन ही आता था।
वर्ष 2017 से 2021 तक श्रम विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। शासन ने श्रमिकों के लिए सिलाई मशीन, साइकिल व लड़कियों के विवाह सहित अन्य कार्यों के लिए श्रम विभाग को करोड़ों रुपये आवंटित किए थे। आरोप था कि जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं दिया गया। श्रमिकों को दी जाने वाली साइकिल, सिलाई मशीन सहित अन्य वस्तुओं के आवंटन में अनियमितता के आरोप लगे थे। आरोप लगाया कि कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं को गलत तरीके से धन आवंटन किया गया, जबकि वास्तविक श्रमिक इस योजना से वंचित रहे। इस दौरान ये मंत्रालय हरक सिंह रावत के पास था।
दो साल पहले तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने कर्मकार बोर्ड भंग करते हुए अध्यक्ष पद से तत्काल श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटा दिया था। इसके साथ ही बोर्ड में विवादों की शुरुआत हो गई थी। बोर्ड के कामकाज की विभागीय जांच भी बैठी, विभाग की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई थी कि एक तो बोर्ड ने जरूरत से ज्यादा साइकिलों की खरीद कर ली थी, जिन्हे पूरा बांटा तक नहीं जा सका। उस पर श्रमिकों के नाम पर कई अपात्रों को साइकिल वितरित की गई।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में साइकिल विवाद ऐसा गहराया कि श्रमिकों से जुड़ी सभी योजनाएं ठप हो गईं। दो साल से कर्मकार बोर्ड न तो साइकिल खरीद पाया और न ही टूलकिट व अन्य सामान। हालात यह हैं कि सात माह से कर्मकार बोर्ड भंग है।
सरकार में सत्तासीन रहे हरक सिंह रावत चुनाव से ठीक पहले पाला पलटकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस तब कर्मकार बोर्ड को लेकर सरकार को घेरती रही थी। अब कांग्रेस के स्वर बदलते दिखाई देने लगे हैं। कांग्रेस सवाल पूछ रही है कि क्यों आखिर जांच एजेंसियों के तार भाजपा से कांग्रेस में आए नेताओं की ओर मुड़ने लगे हैं।कांग्रेस का कहना है कि जब तक यह नेता भाजपा में थे तो यह पाक साफ थे। अब जैसे ही यह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए हैं, तो इन पर सीबीआई, ईडी समेत जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करते हुए बीजेपी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है।