हरीश रावत का कांग्रेस की करारी हार पर फूटा गुस्सा, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह पर उठाए सवाल

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विधानसभा चुनाव-2022 में करारी हार के बाद कांग्रेस में शीर्ष नेताओं के बीच कोल्ड वॉर कि शुरुआत फिर से दिखाई देने लगी है।  पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) की एक फेसबुक पोस्ट ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह को पुनः उजागर किया है। चुनाव में पूर्व सीएम हरीश रावत के अप्रत्याशित रूप से रामनगर सीट से दावेदारी पर बीते रोज नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सवाल उठाए थे। आज रावत ने पलटवार करते हुए प्रीतम को नसीहत देने के साथ में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर भी परोक्ष रूप से हमला बोला।
हरदा ने कहा कि मुझसे कहा गया कि लालकुआं में सभी लोग सहमत हैं। मगर यहां आकर पता चला कि स्थिति ऐसी नहीं है। करीबियों से चर्चा कर नामांकन न करने का फैसला लिया। मगर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि ऐसा किया तो पार्टी की स्थिति बहुत खराब हो जाएगी। लिहाजा, न चाहते हुए भी मैंने नामांकन किया। हरदा ने कहा कि रामनगर मे चुनाव कार्यालय का चयन करने के साथ मुहूर्त निकाल नामांकन का समय और तारीख भी तय कर ली थी। लेकिन रास्ते में सूचना मिली कि अब लालकुआं से चुनाव लड़ूं। न चाहते हुए भी पार्टी के सामूहिक फैसले को मानना पड़ा।
रावत ने कहा कि प्रीतम ने एक बहुत सटीक बात कही कि आप जब तक किसी क्षेत्र में 5 साल काम नहीं करेंगे तो आपको वहां चुनाव लड़ने नहीं पहुंचना चाहिए। फसल कोई बोये काटने कोई और पहुंच जाए। लेकिन मैं तो चुनाव लड़ने के बजाय चुनाव प्रचार करना चाहता था।  स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में राय दी गई कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए।
वहीं हरीश रावत ने नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी की तथाकथित मांग करने वाले व्यक्ति को पदाधिकारी बनाने का फैसला किसका था। इसकी जांच होनी चाहिए। वह व्यक्ति कभी भी राजनीतिक तौर पर मेरे नजदीक नहीं रहा। उसे राजनीतिक तौर पर उपकृत करने वाले लोगों को सब जानते हैं। किसने उसे सचिव फिर महासचिव बनाया और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में उसे किसका समर्थन हासिल था, यह भी सबको पता है। उस व्यक्ति के विवादास्पद मूर्खतापूर्ण बयान के बाद मचे हल्ले-गुल्ले के दौरान उसे हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा का प्रभारी बनाने में किसका हाथ रहा है, यह अपने आप में जांच का विषय है।
पूर्व सीएम ने कहा कि सभी को मुझ पर गुस्सा निकालने और खरी-खोटी सुनाने का हक है। हर उम्मीदवार की हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले चुका हूं। पर सत्य की अनदेखी भी नहीं होनी चाहिए।

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