जहाँ केंद्र ने स्कूलों को शर्तों के साथ खोलने की इजाज़त दे दी है वहीँ अभी यह सवाल बना हुआ है कि अभिवावक क्या इतने बड़े कोरोना वायरस नाम के खतरे के बीच अपने बच्चों को सरकार या स्कूलों के भरोसे छोड़ेंगे।
कोरोना वायरस के फैलते प्रसार के साथ ही केंद्र द्वारा स्कूलों को बंद करा दिया गया था एक लम्बे लॉकडाउन के बाद केंद्र ने अनलॉक-4 में कुछ महत्वपूर्ण शर्तों के साथ 21 सितंबर से 9 से 12 वीं तक की कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के लिए सशर्त स्कूल खोलने की इजाज़त दी है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने का जोखिम उठाएंगे ?
उत्तराखंड की बात की जाए तो केन्द्र की गाइडलाइन आने के बाद भी राज्य में अभी स्कूल खोलने को लेकर कोई तैयारी नहीं दिखाई दे रही है। राज्य सरकार की तरफ से अभी इसके स्पष्ट दिशा-निर्देश भी आने बाकी हैं। बता दें की अभी केवल बड़ी कक्षाओं के छात्रों को ही इसकी इजाज़त होगी वह भी अभिवावकों की अनुमति के बाद।
ऐसे में The mountain stories ने जानना चाहा अभिवावकों से की आप क्या सोचते हैं अपने बच्चों को स्कूल भेजने के सम्बन्ध में—–
1-आशा खंडूरी बताती हैं की–“वह स्कूल प्रबंधन से मिल कर और उनकी बच्चों की सुरक्षा के लिए किये गए उपाय देखने बाद ही बच्चों को स्कूल भेजने के विषय पर विचार करेंगी”
2-वहीँ मंजू रावत कहती हैं क–“अभी कोरोना का खतरा लगातार बना हुआ है बल्कि अब बढ़ता ही जा रहा है ऐसे में बिना वैक्सीन आये बच्चों को स्कूल भेजना ठीक नहीं” वह अभी इस सम्बन्ध में स्कूलों की बच्चों सम्बन्धी सुरक्षा तैयारियों का देखकर फैसला करने की बात कहती हैं।
3-बीना जोशी इस मसले पर अपनी राय रखती है कि–“बच्चों के भविष्य के साथ साथ हमें उनके स्वास्थ्य की भी चिंता करनी है, कोरोना महामारी के आंकड़े लगातार बड़ रहे हैं ऐसे में अभी अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है कि बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं”
4-अनिल रावत कहते हैं–“खतरा तो बना हुआ है मगर बड़ी कक्षा के बच्चों को भेज सकते हैं, हम उन्हें बता सकते हैं की सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें,वैसे हम पहले स्कूल प्रबंधन से उनकी तैयारियों पर बात करेंगे, और स्कूल के इंतज़ामों पर नज़र बनाये रखनी होगी”
अभिभावक ऐसी स्थिति में अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं, इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है कि स्कूल न खोले जाएं।
वहीँ स्कूल खोले जाने की तैयारी को लेकर मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली ने कहा है कि अभी सरकार की ओर से स्कूल खोलने को लेकर कोई स्पष्ट दिशा- निर्देश नहीं मिला है, ऐसे में तैयारियों की कोई बात ही नहीं है। दिशा-निर्देश मिलने के बाद उसी के अनुसार स्कूल खोलने की तैयारी की जाएगी। वहीं अभिभावक ऐसी स्थिति में अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं, केन्द्र की गाइडलाइन के बाद राज्य सरकार स्कूलों को खोलने की अनुमति देती भी है तो स्कूलों में कोई छात्र पहुंचे ऐसी संभावना कम ही नजर आ रही है, क्योंकि प्रदेश में जिस तरह कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे हालात में कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहेगा।
हालांकि कुछ निजी स्कूल संचालक स्कूल खोलने की हिमायत कर रहे हैं और इस सम्बन्ध में उनका कहना है कि बोर्डिंग स्कूलों को खोलने पर विचार किया जा सकता है, क्यूंकि यहाँ छात्र-छात्राएं स्कूल परिसर में ही रहते हैं। उनके अनुसार कुछ अभिवावक इससे सहमत हैं। राज्य में हाल के दिनों में कोरोना संक्रिमतों के बढ़ते आंकड़ों के कारण हालांकि सरकार के लिए भी स्कूलों को खोलना आसान नहीं होगा, अब देखने वाली बात यह होगी की सरकार द्वारा तय मानदंडों के अनुसार स्कूलों को खोलने की सरकार की यह कवायद कितना रंग लाती है।
केन्द्र सरकार ने इन नियमों (SOP) के साथ दी है 9 से 12 वीं तक के स्कूल खोलने की छूट—-
1-छात्रों को फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा।
2-हर छात्र को एक दूसरे से कम से कम छह फुट की दूरी बनाकर बैठना होगा, और ये लिफ्ट,पार्किंग, कॉरिडोर सभी जगहों पर लागू होगा।
3-सभी छात्रों को थोड़ी-थोड़ी देर पर हाथ धोना होगा और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा।
4-खांसने और छींकने के वक्त मुंह और नाक को ढककर रखना होगा।
सार्वजिनक जगह पर थूकना मना होगा।
5-किसी छात्र को तबियत में कुछ गड़बड़ी का अहसास होगा, उन्हें फौरन स्कूल टीचर या प्रशासन को इस बारे में जानकारी देनी होगी।
6-छात्रों को जहां तक मुमकिन है आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड़ करने की सलाह दी गई है।
7-कंटेनमेंट जोन के अंदर के स्कूलों को इजाजत नहीं होगी और यहां रहने वाले छात्र या टीचर या दूसरे -किसी स्टाफ को गैर कंटेनमेंट जोन में मौजूद स्कूल में आने की इजाजत नहीं होगी।
8-स्कूलों को खोलने से पहले पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाएगा और उन जगहों पर बार-बार सफाई की जाएगी जहां टीचर और छात्र बैठकर बातचीत करेंगे।
9-अगर किसी स्कूल को पहले क्वारंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो तो उनको खास तौर पर सैनिटाइज किया जाएगा।
10-स्कूलों में फिलहाल एसेम्बली नहीं होगी, स्वीमिंग पूल भी बंद रहेंगे और खेलकूद से जुड़ी गतिविधियों पर भी पाबंदी लगी रहेगी।
11-स्कूल के दरवाजों के बाहर थर्मल स्क्रीनिंग होगी ताकि छात्रों और शिक्षकों के तापमान की जांच हो सके।
12-बिना किसी लक्षण वाले व्यक्ति को ही अंदर जाने दिया जाएगा औऱ अगर किसी में जरा भी कोरोना का लक्षण दिखा तो उन्हें फौरन पास के हेल्थ सेंटर भेजा जाएगा।
13-भीड़ से बचने के लिए अलग-अलग समय पर छात्रों को स्कूल बुलाया जा सकेगा।
14-छात्रों को आपस में नोटबुक, पैन, पेंसिल, रबर, वाटरलबॉटल एक दूसरे को लेने-देने की इजाजत नहीं होगी।
15-जिंन स्कूलों में बसों की सुविधा है उनमें भी सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाएगा।