अपने अस्तित्व के लिए लड़ता एक शहर-जोशीमठ

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भारत सीमा पर बसे उत्तराखंड  के चमोली शहर जोशीमठ में भूधंसाव का दायरा बढ़ता जा रहा है जिससे पूरे शहर में दहशत का माहौल है। गेटवे ऑफ हिमालय के नाम से मशहूर जोशीमठ में भू.धंसाव से जमीन में कई मीटर गहरी दरारें पड़ गईं और 700 से ज्यादा घरों की दिवारें दरक गई हैं। इस आपदा के आतंक के निशान यहां हर स्थानीय चेहरे पर दिख रहे हैं। जोशीमठ को भूधंसाव के खतरे से बचाने के लिए अब शासन-प्रशासन एक्शन मोड में है। कालोनियां और होटल खाली कराए जा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को विशेषज्ञों की टीम ने निरीक्षण शुरू कर दिया। गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रन्जीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम द्वारा जोशीमठ में भू-धंसाव के प्रभावित क्षेत्रों में आज घर-घर सर्वेक्षण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय खुद इस मामले में पल पल की जानकारी ले रहा है।

जोशीमठ में हो रहे भू-धसांव से लगातार स्थिति बिगड़ने लगी है। लगातार दरकते पहाड़ों ने लोगों की जिंदगी थाम दी है।घर, सड़क, बद्रीनाथ नेशनल हाईवे, वन विभाग की चेकपोस्ट, जेपी कंपनी के परिसर में बने मकान, रोपवे से सटी ज़मीन, हर तरफ दरारें फैल रही हैं। निचले इलाको में इनसे मटमैला पानी निकल रहा है। सिंहधार वार्ड में होटल माउंट व्यू जमीन धंसने से तिरछा हो गया है तो वहीं भू-धंसाव की चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर  भी आ गया है। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी हैं। उधर, स्थानीय लोगों की सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। लोगों का विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया है। लगातार बिगड़ती स्थिति के बीच स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की उपेक्षा से नाराज़ लोग बुधवार रात मशालें लेकर सड़कों पर उतरे। हालांकि ये विरोध प्रदर्शन पिछले एक साल से लगातार चल रहा है।जोशीमठ के निवासियों का कहना है कि जोशीमठ के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है। शहर की बुनियाद डूब रही है।

सरकार इस मामले पर गंभीरता से कदम आगे बढ़ा रही है। भूधंसाव के मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पैनी नजर रखे हुए हैं। वह चार दिन पूर्व जोशीमठ की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक भी कर चुके हैं। उन्होंने प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर क्षेत्र का दोबारा अध्ययन करने के सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम जोशीमठ पहुंच चुकी है। बढ़ते भू-धंसाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन द्वारा बनाए जा रहे हेलंग बाईपास का निर्माण कार्य, एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के लिए चल रहा निर्माण कार्य और नगरपालिका क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यो पर अग्रिम आदेशों तक तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेशों तक रोका गया है।

बता दें कि राज्य सरकार ने बीते साल अगस्त में भी विशेषज्ञों के दल को जोशीमठ भेजा था। दल ने सितंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि जोशीमठ मुख्य रूप से पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है। ऐसे क्षेत्रों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में भूमि में समाने वाले पानी के साथ मिट्टी बहने से कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। रिपोर्ट में जोशीमठ में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने, अलकनंदा नदी से हो रहे भूकटाव की रोकथाम को कदम उठाने, नालों का चैनलाइजेशन व सुदृढ़ीकरण करने, धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित करने के सुझाव दिए गए थे।


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