देश आज से कोरोना वैक्सीन का ड्राई रन शुरू करने की तैयारी में है। ड्राई रन को देश के हर राज्य में दो-दो शहरों में आयोजित किया जाएगा। इसी के आधार पर वास्तविक टीकाकरण अभियान को पूरे राज्य में अंजाम दिया जाएगा। ड्राई रन के दौरान कोई वैक्सीन इस्तेमाल नहीं होगी। ड्राई रन के जरिए यह टेस्ट किया जाता है कि सरकार ने टीकाकरण का जो प्लान बनाया है, वह असल में कितना मुफीद है। इसके अलावा सरकार ऐप के जरिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग को भी टेस्ट करेगी।
अब तक चार राज्यों पंजाब, असम, गुजरात और आंध्र प्रदेश में ही ऐसा ड्राई रन किया गया है । इन चारों राज्यों में ड्राई रन को लेकर अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं । वहीँ अब सरकार ने पूरे देश में ड्राई रन को लागू करने का फैसला किया। जिसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक विशेष टीम का भी गठन किया है, जो इस पूरी प्रक्रिया पर बारीकी से नजर बनाए रखेगी।
दिल्ली में तीन जगहों पर होगी ड्राई रन-राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को कोविड-19 के टीकाकरण का पूर्वाभ्यास करने के लिए तीन स्थानों का चयन किया गया है। शाहदरा के गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दरियागंज का शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और द्वारका का वेंकटेश्वर अस्पताल दिल्ली में तीन स्थान हैं जिनका चयन कल के पूर्वाभ्यास के लिए किया गया है।
यूपी में इन जगहों का किया गया चयन-
उत्तर प्रदेश में ड्राई रन के लिए राज्य सरकार ने लखनऊ के सहारा अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, केजीएमयू और एसजीपीजीआई सहित 6 केंद्रों का चयन किया है।
बिहार में इन तीन स्थानों पर होगी मॉक ड्रिल-
बिहार में पटना, बेतिया और जमुई में कोरोना वायरस वैक्सीन की मॉक ड्रिल होगी। इसे लेकर राज्य के अधिकारियों ने विशेष तैयारियां की हैं। मॉक ड्रिल में हर प्वाइंट पर 25 हेल्थ वर्कर्स को उपस्थित रहना अनिवार्य है। इन्हीं पर वैक्सीन लगाने का ट्रायल किया जाएगा।
कोविड वैक्सीनेशन का ड्राई रन क्यों जरुरी है-
इस पूरी कवायद को करने का उदेश्य इसलिए है की फाइनल अभियान लॉन्च करने से पहले उसकी कमियों को दूर किया जा सके। इससे अभियान में शामिल प्रोग्राम मैनेजर्स को हैंड्सऑन अनुभव भी मिलेगा। दरअसल, रिहर्सल से कोविड-19 टीके को जुटाने और टीकाकरण की जांच प्रक्रिया, क्षेत्र में कोविन के उपयोग, नियोजन, क्रियान्वयन, रिेपोर्टिंग के बीच तालमेल, चुनौतियों की पहचान, वास्तविक क्रियान्वयन के बारे मे मार्गदर्शन, यदि किसी सुधार की जरुरत हो तो उसे चिह्नित करना, आदि का पता चलेगा।क्या होता है ड्राई रन-
ड्राई रन का मतलब ये है कि पूरे टीकाकरण प्रोसेस की मॉक ड्रिल होगी। यानी सबकुछ वैसा ही होगा जैसा टीकाकरण अभियान में होने वाला है, सिवाय वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के। मतलब ये कि डमी वैक्सीन कोल्ड स्टोरेज से निकलकर वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंचेगी। साइट्स पर क्राउड मैनेजमेंट को भी टेस्ट किया जाएगा। वैक्सीन की रियल-टाइम मॉनिटरिंग को भी परखा जाएगा। कुल मिलाकर असली वैक्सीन देने को छोड़कर बाकी हर एक चीज होगी।
ड्राई रन के बाद क्या-
दो दिन तक ड्राई रन चलने के बाद, एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। स्टेट लेवल पर बनी टास्क फोर्स उसका रिव्यू करेगी। इसके बाद रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी जाएगी। केंद्रीय स्तर पर चारों राज्यों में चले ड्राई रन की फाइंडिंग्स का फिर रिव्यू होगा। अगर प्लान में बदलाव की जरूरत महसूस हुई तो वह भी किया जाएगा। अगर सबकुछ ठीक रहता है तो अभी के प्लान के हिसाब से ही जनवरी में टीकाकरण अभियान लॉन्च कर दिया जाएगा।