देहरादून/ मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का प्रशासन केवल फाइलों में नहीं, जनता के बीच भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इसका प्रमाण बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में देखने को मिला, जब श्री धामी ने सीएम हेल्पलाइन 1905 पर दर्ज शिकायतों का फॉलोअप खुद करते हुए शिकायतकर्ताओं से प्रत्यक्ष संवाद किया और पूछा – “आपका काम हुआ या नहीं?”
मुख्यमंत्री के इस संवाद ने न केवल जनता को यह विश्वास दिलाया कि उनकी शिकायतें सुनी जा रही हैं, बल्कि यह भी दिखाया कि उत्तराखंड सरकार शिकायतों के निस्तारण को लेकर कितनी गंभीर है।
फॉलोअप भी उतना ही जरूरी, जितना समीक्षा
पिछली समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने सभी विभागों को शिकायतों का समयबद्ध और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। अब उन्होंने स्वयं यह जानने की पहल की कि क्या विभागों ने दिशा-निर्देशों का पालन किया या नहीं। यह प्रयास प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और तत्परता की मिसाल बनता जा रहा है।
तीन जिलों के मामले, तीन समाधान
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उत्तरकाशी की लक्ष्मी देवी ने बताया कि शिक्षा विभाग से उनकी पारिवारिक पेंशन अब स्वीकृत हो चुकी है।
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रुद्रप्रयाग निवासी जगदम्बा प्रसाद नौटियाल ने कहा कि उनके मेडिकल बिलों का भुगतान भी अब हो चुका है।
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नैनीताल निवासी बहादुर सिंह बिष्ट, जो उद्यान विभाग से सेवानिवृत्त हैं, ने मुख्यमंत्री को बताया कि उनका जीपीएफ भुगतान भी कर दिया गया है।
इन सभी नागरिकों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप से ही यह समाधान संभव हो पाया है।
जन सरोकारों के लिए जवाबदेह शासन
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए दोहराया कि जनता की शिकायतों का समाधान समय पर और गुणवत्ता के साथ हो। यह संवाद और फॉलोअप की प्रक्रिया न सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, बल्कि एक जन सरोकार आधारित शासन व्यवस्था की दिशा में मजबूत कदम भी है।
एक विकासोन्मुखी सोच की तस्वीर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह प्रयास एक विकासोन्मुखी, जवाबदेह और संवेदनशील शासन की तस्वीर पेश करता है। जहां शिकायत दर्ज करना ही नहीं, बल्कि समाधान तक पहुंचना भी राज्य सरकार की प्राथमिकता है। ‘आपका काम हुआ या नहीं?’ सिर्फ एक सवाल नहीं, बल्कि एक जवाबदेह और संवेदनशील नेतृत्व का प्रतीक है। मुख्यमंत्री का यह कदम उत्तराखंड की शासन प्रणाली को और अधिक जनोन्मुखी बना रहा है।