दुर्गम क्षेत्र में जरूरतमंदों तक आवश्यक दवा पहुंचाना हुआ आसान, ऋषिकेश एम्स द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी का ट्रायल सफल

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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के सुदूर इलाकों में दवाइयों को पहुंचाने के लिए ऋषिकेश एम्स में आज ड्रोन से टीबी की दवा भेजे जाने का ट्रायल किया गया। ड्रोन ऋषिकेश से आधे घंटे में टिहरी अस्पताल में दवा लेकर पहुंचा। ड्रोन टेक्नोलॉजी का ट्रायल सफल रहा है। इसी के साथ ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल करने वाला देश का पहला एम्स ऋषिकेश बना है।

राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण दुर्गम इलाकों के गांवों में स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाएं पहुंचाने में अनेकों दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक कदम और बढ़ाया है। आज पहली बार टिहरी जनपद में ड्रोनटेक्नोलॉजी का उपयोग कर टीबी के मरीजों के लिए दवा भेजी गयी यह परीक्षण सफल रहा।

बता दें कि बुधवार को ऋषिकेश एम्स के हेलीपैड पर ड्रोन सेवा का आसपास क्षेत्र में परीक्षण किया गया था। आज ऋषिकेश एम्स से ड्रोन के माध्यम से जिला अस्पताल बौराड़ी टीबी की दवा पहुंची। ड्रोन दो किलो दवाई लेकर पहुंचा। ड्रोन 3.5 किलो भार उठा सकता है और एक बार में 100 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। ऐसे में ड्रोन टेक्नोलॉजी द्वारा उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्र में दवा भेजने व मरीजों का सैंपल लाने का काम अब आसान हो जाएगा।

एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह बताती है कि “हमारा प्रयास उत्तराखंड के समस्त दुर्गम क्षेत्र में जरूरतमंदों तक आवश्यक दवा पहुंचाना है। विशेष रूप से उत्तराखंड में क्षय रोग नियंत्रण की दिशा में हमने प्रयास किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी मुक्त भारत का संकल्प दोहराया था। इस संकल्प को हमने उत्तराखंड में साकार करने की कोशिश की है”गौर हो कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। अब जब यह प्रयास सफल रहा है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही उत्तराखंड के अन्य सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जायेगा। प्रथम चरण में एम्स ऋषिकेश ने इस कार्य के लिए चार ड्रोन सेवा शुरू करने का निर्णय लिया है।


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