महाशिवरात्रि 18 या 19 फरवरी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि, त्रिग्रही योग का निर्माण होगा

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इस बार महाशिवरात्रि की तारीख को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग 18 फरवरी को महाशिवरात्रि बता  रहे हैं तो कुछ 19 फरवरी को। आईये आपको बताते हैं की महाशिवरात्रि का पर्व किस दिन मनाया जाएगा। हिन्दू पर्व के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार, 18 फरवरी को रात 8 बजकर 03 मिनट पर प्रारंभ होगा और इसका समापन रविवार 19 फरवरी को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर होगा। चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है इसलिए इस त्योहार को 18 फरवरी को मनाना उचित होगा। इस बार महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग का निर्माण होने जा रहा है। ज्योतिषों ने इसे बड़ा ही दुर्लभ संयोग माना है।

इस साल महाशिवरात्रि का पर्व खास रहने वाला है। 30 वर्षों बाद सूर्य और शनि यानी पिता-पुत्र एक साथ शनि की कुंभ राशि में गोचर करेंगे जिस कारण कुम्भ राशि मे शनि, सूर्य और चंद्रमा मिलकर त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। आपको बता दें कि 17 जनवरी 2023 को न्याय देव शनि कुम्भ राशि मे विराजमान हुए थे। 13 फरवरी को ग्रहों के राजा सूर्य भी इस राशि मे प्रवेश कर गए हैं। अब 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुम्भ राशि मे होगा। शनिवार के दिन शिवरात्रि पड़ने से शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। शनि प्रदोष का योग होने से संतान कामना की पूर्ति होती है इसलिए यह व्रत पुत्र दायक माना गया है। इसी दिन स्वार्थ सिद्धि योग भी पड़ रहा है। स्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी कार्य करने से पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है।

शिवरात्रि के व्रत में चार पहर की पूजा का विशेष विधान बताया गया है। आईये जानते हैं महाशिवरात्रि की चार पहर कब-कब है —-
प्रथम पहर पूजा   — 18 फरवरी शाम को 06:41 से रात 09:47 बजे तक

द्वितीय पहर पूजा  — 18 फरवरी रात को 9:47 बजे से 12:53 बजे तक

तृतीय पहर पूजा  — 19 फरवरी रात को 12:53 बजे से 03:58 बजे तक

चतुर्थ  पहर पूजा  —19 फरवरी सुबह 03:58 बजे से सुबह 07:06 बजे तक

व्रत पारण           —19 फरवरी सुबह 06:11 बजे से दोपहर 02:41 बजे तक

पूजन विधि—–

महाशिवरात्रि पर सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए, नित्यकर्म स्नान आदि के उपरान्त साफ-सुथरे कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। शिव मंदिर मे जाकर गन्ने के रस, कच्चे दूध या शुद्ध घी से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके पश्चात बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमाल गट्टे, फल, फूल, मिठाई,मीठा पान,इत्र आदि महादेव को अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करें और शिव आरती गाएं।

भूलकर भी यह न करें—

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर तुलसी दल यानी तुलसी का पत्ता न चढ़ाएं। शिवजी की पूजा में केतकी और चंपा का फूल न चढ़ाएं। शिवजी को टूटे चावल भी अर्पित न करें। शिव या शिवलिंग को सिन्दूर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। इस दिन क्रोध बिलकुल न करें और किसी के लिए अपशब्दों का प्रयोग भी बिलकुल न करें। व्रत में अनाज या अन्न ग्रहण नहीं किया जाता आप फलाहार द्वारा व्रत रख सकते हैं।


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