Kargil Vijay Diwas 2022: आज मनाया जा रहा कारगिल विजय दिवस

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देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सपूतों को याद करते हुए आज पूरे देश में “कारगिल विजय दिवस” (Kargil Vijay Diwas) मनाया जा रहा है। 26 जुलाई 1999 का वो दिन भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन भारत ने दुनिया के सबसे मुश्किल युद्धों मे से एक कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस साल कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ है।

‘या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा लेकिन वापस जरूर आऊंगा’- कैप्टन विक्रम बत्रा

‘कारगिल विजय दिवस’ कारगिल युद्ध में शहीद हुए नायकों के सम्मान में मनाया जाता है, जो मातृभूमि की सेवा करते हुए शहीद हो गए। हर साल इस दिन, प्रधान मंत्री दिल्ली में इंडिया गेट पर ‘अनन्त लौ’, अमर जवान ज्योति पर सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि देते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने सर्वोच्च पद संभालने के बाद पहला ट्वीट कारगिल युद्ध (Kargil War) के वीर सपूतों के नाम किया है–”कारगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूँ। सभी देशवासी, उनके और उनके परिवारजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे। जय हिन्द!”

‘अगर कोई व्यक्ति कहे कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो समझ लें कि या तो वह झूठ बोल रहा है, या वो गोरखा है’– फील्ड मार्शल सैम मनिकशॉ

इस दिन भारतीय फौज ने उन सभी चौकियों को वापस पाकिस्तान से वापस ले लिया था. जिन पर उसने कब्जा किया हुआ था। ये लड़ाई जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में साल 1999 में मई से जुलाई के बीच हुई थी। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। 60 दिनों तक चले इस युद्ध में शहीद हुए भारत के सैनिकों को ‘कारगिल विजय दिवस’ में याद किया जाता है।

‘अगर खूद को साबित करने से पहले मौत हो जाती है, तो मैं कसम खाता हूं कि मैं मौत को मार दूंगा’- कैप्टन मनोज कुमार पांडे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर कारगिल विजय दिवस की श्रद्धांजलि अर्पित की है। पीएम ने ट्वीट में लिखा, ”कारगिल विजय दिवस मां भारती की आन-बान और शान का प्रतीक है। इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में पराक्रम की पराकाष्ठा करने वाले देश के सभी साहसी सपूतों को मेरा शत-शत नमन. जय हिंद!”

भारतीय सेना को इस घुसपैठ की जानकारी चरवाहों से मिली थी। चरवाहों ने पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को वहां देख लिया, जिसके बाद भारतीय सेना ने घुसपैठियों से अपनी जमीन को खाली कराने के लिए ‘ऑपरेश विजय’ चलाया।

‘कुछ लक्ष्य इतने अच्छे होते हैं कि उनमें फेल होना भी शानदार होता है’– कैप्टन मनोज कुमार पांडे

दरअसल सर्दियों की शुरुआत में सैनिक ऊंची चोटियों पर अपनी पोस्ट छोड़कर निचले इलाकों में आ जाते थे। पाकिस्तान और भारतीय दोनों सेनाएं ऐसा करती थी। सर्दियों में जब भारतीय सेना चोटियों से नीची उतरी तो पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने चुपके से घुसपैठ करके प्रमुख चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया। पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी अब ऐसी प्रमुख चोटियों पर तैनात थे, जहां से वह भारतीय सेना को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते थे।

‘बहादुर कभी नहीं मरते, हालांकि वे धूल में सोते हैं, उनका साहस एक हजार जीवित पुरुषों को परेशान करता है’- मिनोट जुडसन सैवेज

भारतीय नौसेना द्वारा बनाई गई नाकाबंदी इतनी शक्तिशाली थी कि पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने खुलासा किया कि अगर एक पूर्ण युद्ध छिड़ गया तो पाकिस्तान के पास खुद को बनाए रखने के लिए केवल छह दिनों का ईंधन (पीओएल) बचा था। इस तरह भारतीय नौसेना ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायु सेना की मदद की।

‘हमारा झंडा इसलिए नहीं फहरता क्योंकि हवा चलती है, यह हर उस सैनिक की आखिरी सांस के साथ फहराता है जो इसकी रक्षा करते हुए शहीद हो गया’

 


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