देहरादून/ राजधानी के डिफेंस कॉलोनी में जमीन घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। द सैनिक सहकारी आवास समिति लिमिटेड के तहत खुली जमीनों को अवैध रूप से प्लॉट में बदलकर बेचने के आरोप में 15 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों समेत 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
आरोप है कि समिति के पदाधिकारियों ने मूल लेआउट प्लान में छेड़छाड़ कर 680 की जगह 726 प्लॉट बना दिए और पार्क व अन्य सामुदायिक उपयोग की 18,000 वर्ग मीटर से अधिक भूमि को भी बेच दिया। मामले में सेवानिवृत्त कर्नल रमेश प्रसाद सिंह की शिकायत पर नेहरू कॉलोनी पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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कैसे हुआ घोटाला?
शिकायतकर्ता के अनुसार, 1964 में रजिस्टर्ड हुई इस समिति को केंद्र सरकार के अनुदान से जमीन दी गई थी, ताकि पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को प्लॉट उपलब्ध कराए जा सकें। प्रारंभ में 680 प्लॉट का लेआउट प्लान तैयार किया गया था, जिसे 1967 में लखनऊ के यूपी टाउन एंड प्लानिंग डिपार्टमेंट से स्वीकृति मिली।
लेकिन समिति के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारियों ने समय-समय पर नियमों की अनदेखी करते हुए प्लॉटिंग में हेरफेर किया। खुली जमीन पर अवैध प्लॉट काटे गए और सर्किल रेट से भी कम कीमत पर बाहरी लोगों को बेचे गए, जिनका सैन्य सेवाओं से कोई संबंध नहीं था।
किन लोगों पर हुआ मुकदमा?
इस मामले में दर्ज एफआईआर में कई पूर्व सैन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सेवानिवृत्त कर्नल आरएस कली
- सेवानिवृत्त कर्नल एसएम गुसाईं
- सेवानिवृत्त कर्नल आरएस पैन्यूली
- सेवानिवृत्त कर्नल एसएल पैन्यूली
- पूर्व कैप्टन टीपी कुंडालिया
- सेवानिवृत्त कमांडेंट एसएस रावत
- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल एएस कंडारी
- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल पीएस राणा
- सेवानिवृत्त पीओएमए वीके नौटियाल
- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल सीपी सती
- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल जीएस बिष्ट
- सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर एसएस बिष्ट
- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट एएस बिष्ट
- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल एसपीएस नेगी
- सेवानिवृत्त मेजर एमएस नेगी
- वीरभान सिंह
पुलिस ने शुरू की जांच—
एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, नेहरू कॉलोनी पुलिस ने मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब समिति के दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कितने अवैध प्लॉट बेचे गए और इससे कितनी अवैध कमाई हुई।
इस घोटाले से समिति के सदस्यों में नाराजगी है, क्योंकि उनके लिए सुरक्षित रखी गई जमीन को भी बेच दिया गया। पुलिस जल्द ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर सकती है।