आओ प्रकृति संवारे: सीआईएमएस कॉलेज देहरादून में हरेला पर्व पर वृक्षारोपण और पर्यावरणीय चेतना संवाद का आयोजन
रिपोर्ट: The Mountain Stories | 16 जुलाई 2025
देहरादून। उत्तराखण्ड की समृद्ध लोक परंपरा और प्रकृति प्रेम का प्रतीक हरेला पर्व इस बार सीआईएमएस एंड आर कॉलेज, देहरादून में एक नए उत्साह और संकल्प के साथ मनाया गया।
“आओ प्रकृति संवारे, हरेला उत्सव मनाएं” शीर्षक से आयोजित इस विशेष कार्यक्रम ने पर्यावरणीय चेतना, पारंपरिक ज्ञान, और सांस्कृतिक मूल्यों को एक मंच पर लाकर एक सशक्त संदेश दिया। आयोजन विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान उत्तराखण्ड प्रांत, सजग इंडिया और सीआईएमएस कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों ने किया वृक्षारोपण
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. जे. एम. एस. राणा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ यूसर्क की पूर्व निदेशक प्रो. अनीता रावत, उत्तराखण्ड सचिवालय अनुभाग अधिकारी राजीव नयन पांडे, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज चंबा के प्रधानाचार्य इन्द्रपाल सिंह परमार तथा सरस्वती विद्या मंदिर मसूरी के प्रधानाचार्य मनोज रयाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। सभी गणमान्य अतिथियों ने कॉलेज परिसर में वृक्षारोपण कर प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया।
हरेला पर्व: परंपरा से आंदोलन तक का सफर
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. जे. एम. एस. राणा ने कहा:
“हरेला केवल एक परंपरा नहीं, चेतना का उत्सव है, जो गांव, घर और प्रकृति के बीच जीवंत संवाद स्थापित करता है। यह पर्व 1986 से एक संगठित लोक चेतना के रूप में विकसित हुआ है, जिसने वृक्षारोपण से आगे बढ़कर जल संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी तक अपनी जड़ें फैलाई हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि हरेला केवल भावुकता से नहीं, बल्कि विज्ञान, लोकविज्ञान और सामाजिक सहभागिता से जुड़ा हुआ पर्व है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे इसे एक सतत सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में अपनाएं।
पर्यावरणीय संस्कृति की गहराई से जुड़ने का आह्वान
प्रो. (डॉ.) अनीता रावत ने भारतीय संस्कृति में पंचमहाभूतों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा:
“हरेला प्रकृति को समर्पित एक ऐसा लोक पर्व है जो हमें केवल पौधारोपण नहीं, बल्कि उसकी नियमित देखभाल की प्रेरणा भी देता है।”
उन्होंने सभी से आग्रह किया कि पौधारोपण को एक वार्षिक रचनात्मक अभ्यास के रूप में अपनाया जाए।
विद्यार्थियों ने प्रस्तुत की कविताएं व भाषण
सीआईएमएस कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने हरेला पर्व और पर्यावरण संरक्षण पर कविताएं, भाषण एवं रचनात्मक प्रस्तुतियां दीं, जिससे पूरे कार्यक्रम में सांस्कृतिक और बौद्धिक उत्सव का माहौल बन गया।
आयोजकों और प्रबंधकों का योगदान
सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज एवं सजग इंडिया के अध्यक्ष एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए हरेला पर्व की परंपरा, वैज्ञानिक पृष्ठभूमि और सामाजिक आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने हरेले से जुड़े पारंपरिक रीति-रिवाजों जैसे रिंगाल की टोकरियों में बीज बोने, अंकुरों की पूजा और बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने की समृद्ध परंपरा का उल्लेख किया।
इस अवसर पर ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय जोशी, प्रशासनिक अधिकारी (रिटा.) मेजर ललित सामंत, उत्तराखण्ड डिफेंस एकेडमी के डायरेक्टर (रिटा.) कर्नल नेगी, सीआईएमएस कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल के प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह, डॉ. अंजना गुंसाई, गणेश कांडपाल, मनोज सामंत, और अन्य शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
पर्व नहीं, पर्यावरणीय आंदोलन है हरेला
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि हरेला को केवल पर्व के रूप में नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ जीवन जीने की भारतीय परंपरा की पुनर्पुष्टि के रूप में देखा जाना चाहिए। यह आयोजन इस बात का प्रतीक था कि कैसे संस्थागत प्रयास, पारंपरिक ज्ञान और युवा भागीदारी से पर्यावरणीय चेतना को स्थायी रूप से विकसित किया जा सकता है।