2009 के मारपीट और झूठे मुकदमे के मामले में सुनाया गया फैसला, कोर्ट ने दिए कड़े निर्देश
हरिद्वार/देहरादून/ उत्तराखंड की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब रानीपुर से बीजेपी विधायक आदेश कुमार चौहान को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। यह मामला वर्ष 2009 का है, जब चौहान विधायक नहीं थे। अदालत ने विधायक के साथ-साथ उनकी भतीजी दीपिका चौहान और तीन पुलिसकर्मियों को भी दोषी ठहराया है।
सीबीआई के विशेष मजिस्ट्रेट संदीप भंडारी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए आदेश चौहान और उनकी भतीजी को छह-छह महीने तथा दो पुलिसकर्मियों – इंस्पेक्टर राजेन्द्र सिंह रौतेला और दिनेश कुमार – को एक-एक साल की सजा सुनाई। तीसरे पुलिसकर्मी आरके चमोली की मृत्यु हो चुकी है। हालांकि सभी दोषियों को जमानत मिल गई है।
क्या है मामला?
वर्ष 2009 में आदेश चौहान की भतीजी दीपिका की शादी मनीष नामक युवक से हुई थी। पारिवारिक विवाद के चलते दीपिका ने अपने पति पर गंगनहर थाने में दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। लेकिन बाद की जांच में आरोप झूठे पाए गए। इसी कड़ी में 11 जुलाई 2009 को मनीष के पिता डीएस चौहान को थाने बुलाकर पुलिस हिरासत में रखा गया। पीड़ित का आरोप है कि उन्हें विधायक, उनकी भतीजी और पुलिसकर्मियों ने मिलकर दो दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा और मारपीट की। तीसरे दिन उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर डीएस चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। जांच में विधायक और अन्य के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए और मामला अदालत तक पहुंचा। वर्ष 2021 में विधायक आदेश चौहान का नाम भी आरोपियों की सूची में जोड़ा गया।
अदालत का फैसला
सीबीआई अदालत ने सभी पहलुओं की सुनवाई के बाद विधायक और उनकी भतीजी को मारपीट और झूठे आरोप गढ़ने के मामलों में दोषी पाया। अदालत ने माना कि शिकायतकर्ता को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था। पुलिसकर्मियों को इस मामले में गंभीर दोषी करार देते हुए एक-एक साल की सजा दी गई।
राजनीतिक बयान और वकील की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद विधायक आदेश चौहान ने कहा, “यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है, यह पारिवारिक विवाद था। कोर्ट ने जो फैसला दिया है, आगे की प्रक्रिया देखी जाएगी।”
उनके वकील नीरज कांबोज ने बताया कि, “कुछ धाराओं में आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है जबकि अन्य में सजा सुनाई गई है। सभी को फिलहाल जमानत मिल चुकी है।”
राजनीतिक असर
हालांकि मामला विधायक के पारिवारिक विवाद से जुड़ा है, लेकिन सीबीआई अदालत के इस फैसले ने राज्य की राजनीति में हलचल जरूर पैदा कर दी है। कानून के दायरे में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह जनप्रतिनिधि ही क्यों न हो, अब जवाबदेह साबित हो रहा है – यही इस फैसले की सबसे बड़ी सीख मानी जा रही है।