जिसका कोई नहीं उसकी मोक्षदायिनी गंगा माँ, हरिद्वार गंगा में लावारिस अस्थियों का विसर्जन, 5945 लोगों को मिला ‘मोक्ष’

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हरिद्वार के कनखल में स्थित सती घाट पर एक साथ करीब 5945 संग्रहित अस्थियों को पूरे विधि विधान के साथ गंगा में विसर्जित  किया गया। अभी तक श्री देवोत्थान सेवा समिति  22 सालों में करीब 1 लाख 61 हजार 161 अस्थियों का विसर्जन कर चुकी है।

कहते हैं कि जिसका कोई नहीं होता उस पर ईश्वर की मेहरबानियाँ होती हैं और ऐसा ही उदाहरण कई वर्षों से श्री देवोत्थान सेवा समिति पुण्यदायी अभियान सेवा समिति द्वारा तब दिखाई दिया जब देश के विभिन्न राज्यों में स्थित श्मशान घाटों से एकत्रित लावारिस अस्थियों को वैदिक मंत्रोच्चार एवं पूर्ण विधि विधान के साथ कनखल सती घाट पर मां गंगा में विसर्जित किया गया। श्री देवोत्थान सेवा समिति, पुण्यदायी अभियान सेवा समिति और सोलानी नदी श्मशान घाट समिति, रुड़की के सहयोग से 5945 निराश्रित आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति हो गयी। संस्था इसी तरह बीते 22 सालों से करीब 1 लाख 61 हजार 161 अस्थियों का विसर्जन कर चुकी है।

संस्था के महामंत्री और यात्रा संयोजक विजय शर्मा बताते हैं कि कि बीती शनिवार को धर्माचार्यों, संत-महात्माओं, राजनेताओं और प्रबुद्ध समाजसेवियों की ओर से पुष्पांजलि के बाद करीब 250 श्रद्धालुओं का काफिला दिल्ली से हरिद्वार रवाना हुआ था। जिसके बाद रविवार को निष्काम सेवा ट्रस्ट हरिद्वार से शोभा यात्रा के जरिए भूपटवाला से हरकी पैड़ी और शहर के अन्य स्थानों से होते हुए  बैंड-बाजे के साथ चलकर अस्थि विसर्जन यात्रा कनखल सती घाट पर संपन्न हुई। दोपहर करीब एक बजे बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में सभी हुतात्माओं को मां गंगा के आंचल में मोक्ष दिलाया गया।

बता दें कि पूर्व में पाकिस्तान से भी लाई गई अस्थियों को इन्ही विधि विधान के साथ गंगा विसर्जन किया जाता था लेकिन इस वर्ष अभी तक वीजा न मिलने के कारण वह तय  समय तक भारत न आने के कारण उनका कर्मकांड नहीं हो पाया है। उम्मीद जताई जा रही है की 10 अक्टूबर तक वे भी भारत या जाएंगी और फिर उन्हें भी गंगा में विसर्जित किया जाएगा।


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