देहरादून/ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परेड ग्राउंड में आयोजित दसवें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का उद्घाटन करते हुए प्रदेश में आयुर्वेद और योग को बढ़ावा देने के लिए कई अहम घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि हर जिले में मॉडल आयुष ग्राम बनाए जाएंगे और 50 व 10 बेड के आयुष अस्पतालों का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड जल्द ही देश की पहली योग नीति लागू करेगा, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति लाने में मददगार होगी।
आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में विकास—
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में आयुष क्षेत्र में 300 आयुष्मान आरोग्य केंद्र संचालित हो रहे हैं और ई-संजीवनी पोर्टल के माध्यम से आयुष परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के दौरान जब अन्य चिकित्सा प्रणालियां असफल हो रही थीं, तब आयुर्वेद ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में नई उम्मीद जगाई। उत्तराखंड आयुष नीति के तहत औषधि निर्माण, वेलनेस, शिक्षा और शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जड़ी-बूटियों का वैश्विक प्रचार-प्रसार—
मुख्यमंत्री धामी ने विशेषज्ञों से आग्रह किया कि स्थानीय जड़ी-बूटियों के हिंदी नामों के साथ अंग्रेजी नामों को भी प्रचारित किया जाए। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाने वाली जड़ी-बूटी किलमोड़े को अधिकतर लोग जानते हैं, लेकिन इसका अंग्रेजी नाम “बेरीबेरीज” विश्वभर में प्रसिद्ध है और इससे दवाएं बनती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश और केंद्रीय सहयोग—
उद्घाटन सत्र में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने आयुर्वेद और योग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की प्रतिबद्धता जताई। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार की मदद से राज्य में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना की प्रक्रिया भी चल रही है।
सम्मेलन में वैश्विक भागीदारी—
इस आयोजन में 50 से अधिक देशों के 300 प्रतिनिधियों सहित कुल साढ़े छह हजार से अधिक डेलिगेट्स ने भाग लिया। कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रताप राव जाधव, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, डॉ. धन सिंह रावत और अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे। पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण और पद्मभूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
आयुर्वेद: जीवन जीने की कला—
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद न केवल रोगों का इलाज करता है, बल्कि सही जीवनशैली और स्वास्थ्य को बनाए रखने की कला सिखाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राचीनकाल से ही औषधीय संपदा और आयुर्वेद की प्रज्ञा भूमि रहा है, और यह सम्मेलन आयुर्वेद के ज्ञान, शोध और व्यापारिक अवसरों को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
इस कार्यक्रम ने योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में उत्तराखंड को एक वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित किया।