पौड़ी बस हादसा: मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख और घायलों को 1-1 लाख की सहायता

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उत्तराखंड के पौड़ी जिले में रविवार को हुए दर्दनाक बस हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। सत्याखाल मोटर मार्ग पर क्यार्क और चूलधार के पास बस अनियंत्रित होकर 80 मीटर गहरी खाई में गिर गई। इस हादसे में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 21 लोग घायल हुए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये और गंभीर घायलों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। सीएम ने जिलाधिकारी पौड़ी को निर्देश दिया है कि घायलों का समुचित उपचार सुनिश्चित किया जाए। यदि आवश्यक हो तो घायलों को तुरंत हायर सेंटर रेफर किया जाए। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की।

हादसे का विवरण—

SOURCE COURTESY – DIGITAL MEDIA

रविवार दोपहर करीब तीन बजे पौड़ी से देहलचौरी जा रही एक बस में 28 यात्री सवार थे। सत्याखाल मोटर मार्ग पर बस अचानक अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों और पुलिस ने मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और घायलों को खाई से बाहर निकाला।

मृतकों की पहचान—

पुलिस ने मृतकों की पहचान सुनीता (25), प्रमिला और उनके 17 वर्षीय पुत्र प्रियांशु, नागेंद्र और उनकी पत्नी सुलोचना (सभी निवासी पौड़ी गढ़वाल) के रूप में की है। हादसे में पांच लोगों ने पौड़ी जिला अस्पताल में, जबकि एक ने श्रीनगर बेस अस्पताल में दम तोड़ा। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया गया है।

घायलों का इलाज जारी—

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घायलों को एंबुलेंस और प्राइवेट वाहनों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। 21 घायलों का इलाज श्रीनगर बेस अस्पताल में चल रहा है, जबकि एक घायल को प्राथमिक उपचार के बाद पौड़ी जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

सड़क हादसे बढ़ती चिंता—

उत्तराखंड में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सीएम धामी ने इस घटना पर दुख जताते हुए संबंधित अधिकारियों को सड़क सुरक्षा के नियमों को कड़ाई से लागू करने और सड़क स्थितियों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

सांकेतिक चित्र – PHOTO – OM JOSHI 

यह हादसा एक बार फिर से पहाड़ी इलाकों में सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार और प्रशासन की ओर से त्वरित मदद पहुंचाने की कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस उपाय जरूरी हैं।

 

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